हर ओर छाई ‘गरीबी’, पारसोला पर ‘भगवान’ मेहरबान
हाल-ए-चिकित्सा विभाग, पारसोला पीएचसी में स्वीकृत 3 की तुलना में 5 डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ की संख्या कम
उदयपुर•Sep 17, 2019 / 02:18 am•
Pankaj
हर ओर छाई ‘गरीबी’, पारसोला पर ‘भगवान’ मेहरबान
विनोद जैन/पारसोला . सरकार की ओर से नि:शुल्क दवा, नि:शुल्क जांच समेत कई तरह की चिकित्सा योजनाएं संचालित है, लेकिन ग्रामीण स्तर पर स्थिति दयनीय है। बरसात के साथ ही जल जनित मौसमी बीमारियों के प्रकोप से हर कोई आहत है, वहीं सरकारी तौर पर चिकित्सा सुविधाओं का भारी अभाव है। इसी को लेकर राजस्थान पत्रिका ने हर गांव-कस्बे तक पहुंचकर पड़ताल की है। प्रस्तुत है प्रतापगढ़ जिलांतर्गत पारसोला पीएचसी की रिपोर्ट-
एक ओर चिकित्सा महकमे में डॉक्टरों की कमी के चलते हर ओर ‘गरीबी’ छाई हुई है, वहीं दूसरी ओर पारसोला के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ‘भगवान’ मेहरबान है। यहां डॉक्टरों के स्वीकृत 3 पदों की तुलना में 4 कार्यरत हैं। एक माह पहले तो 5 कार्यरत थे, इसमें से एक को प्रतापगढ़ प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया है। आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मूलभूत सुविधा सम्पन्न होकर भी रोगियों को स्वास्थ्य लाभ देने में पिछड़ा हुआ है। वजह ये कि यहां नर्सिंगकर्मियों की कमी है। जबकि डॉक्टरों के पद स्वीकृत से अधिक है। अब डॉक्टर तो नर्सिंगकर्मी का काम करने से रहे। लिहाजा अधिक डॉक्टर वाले अस्पताल में भी आमजन को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
रात को विरान, प्रसव संख्या में गिरावट
नए चिकित्सालय परिसर में चिकित्सकों और नर्सिंगकर्मियों के लिए 2-2 आवास बने हुए है, लेकिन गांव से एक किलोमीटर दूर होने के कारण चिकित्सा प्रभारी सरकारी आवास के बजाय कस्बे में रहते हैं। ऐसे में आमजन को रात में चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाती। सर्वाधिक असर प्रसव व्यवस्था पर पड़ा है। रात को सुविधा नहीं मिलने से गर्भवती महिलाओं को परिजन घाटोल और प्रतापगढ़ के अस्पताल ले जाते हैं।
ट्रांसफर पर नहीं जाते चिकित्सक
पारसोला पीएचसी के चिकित्साधिकारी डॉ. राजेश बिजारणिया वर्ष 2016-17 से कार्यरत हैं। पूर्व में इनका स्थानान्तरण धरियावद और अरनोद हुआ, लेकिन वे नहीं गए और स्थानान्तरण पर न्यायालय से स्टे ले आए। इनके अलावा डॉ. रोहित जैन, डॉ. गजेंद्र मौर्य, डॉ. वागमिता सिंह बारोठ और डॉ. इरशाद खान के नाम पारसोला पीएचसी में दर्ज है। इसमें से डॉ. खान को पिछले माह प्रतिनियुक्ति पर प्रतापगढ़ भेजा गया। इधर, पहले नर्सिंग स्टाफ पर्याप्त थे, लेकिन तीन साल में संख्या घटती गई। लेब तकनीशियन, फार्मास्टिट, एलएसवी, एएनएम के पद भी रिक्त हैं।
तीन साल पहले मिला अवार्ड
राज्य सरकार की कायाकल्प योजना के तहत वर्ष 2016-2017 में पारसोला पीएचसी को लगातार दो बार सर्वश्रेष्ठ पीएचसी का अवार्ड मिला। इसके बाद स्टॉफ में आपसी खींचतान के चलते पूर्व में नियुक्त नर्सिंग स्टॉफ को हटा दिया गया। लिहाजा अब अवार्ड हासिल करने जैसे हालात नहीं बचे। मरीजों की परेशानियां बढ़ गई है।
एक्स-रे मशीन की जगह नहीं
कस्बे के समीप भामाशाह एएसडीसी भूंगाभट्ट माइन्स की ओर से १० लाख रुपए की लागत से डिजिटल एक्स-रे मशीन लगाने की घोषणा की जा चुकी है। माइंस में हादसों के चलते सुविधा की जरुरत है, लेकिन पीएचसी में जगह की कमी के चलते एक्स-रे मशीन लग पाना संभव नहीं हो पा रहा है।
स्थिति सामान्य है, लेकिन भवन छोटा है, मोर्चरी, वार्ड और स्टोर रूम की कमी है। एम्बुलेन्स की सुविधा नहीं है। पीएचसी पर 15 प्रकार की जांचें और 388 प्रकार की दवा और सर्जिकल सामग्री पीएचसी पर उपलब्ध है।
राजेश बिजारणिया, चिकित्सा प्रभारी, पीएचसी पारसोला
स्वीकृत से ज्यादा चिकित्सकों की नियुक्ति मेरे जॉइन करने से पहले की है। इसकी जानकारी हमने राज्य सरकार को दे रखी है। हाल ही में एक चिकित्सक को प्रतापगढ़ प्रतिनियुक्ति पर लगाया है। सरकार का आदेश आने पर अन्य चिकित्सकों को भी वहां भेजा जाएगा, जहां कमी है। नर्सिंगकर्मियों की कमी जल्द दूर की जाएगी।
वीके जैन, सीएमएचओ, प्रतापगढ़
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