आयोग ने राजस्थान पत्रिका में हाल ही प्रकाशित खबरों के आधार पर स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया है। खबर के अनुसार विस्फोटक खान मालिकों को चार गुणा दर पर बेचा जाता है और इस अवैध कारोबार से 20 लाख रुपए प्रति ट्रक की कमाई बताई जा रही है। विस्फोटक की अवैध सप्लाई पड़ोसी राज्यों में भी हो रही है। आयोग ने टिप्पणी की कि यह संभव नहीं है कि पुलिस को ही इस अवैध सप्लाई की जानकारी नहीं हो। अगर इतने बड़े अवैध कारोबार की जानकारी खान विभाग और राज्य पुलिस विभाग को नहीं हो तो यह और अधिक गंभीर प्रकरण है। एेसे कारोबार के लिए एेसे रसायन का उत्पादन, भण्डारण व व्यापार के लिए कई विभागों की कार्यप्रणाली संदेह के दायरे में आ जाती है। साथ ही, कहा कि यह विस्फोटक आतंककारी घटनाओं के लिए काम आ सकता है।
READ MORE: INCOME TAX RAID: कपड़़ा व्यवसायी के 13 ठिकानों पर छापा, उदयपुर व जयपुर की टीम की संयुक्त कार्रवाई बम धमाकों में हुआ था इस्तेमाल
गौरतलब है कि बीते वर्षों के दौरान देश में हुए बम धमाकों में अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल हुआ है। विस्फोटक के तौर पर 86-88 फीसदी अमोनियम नाइट्रेट, 8-10 फीसदी चूरा की हुई कोयले की ईंट एवं 4 फीसदी डीजल केअंश को मिलाकर किसी लोहे या हार्ड प्लास्टिक के कन्टेनर में टाइट भरकर डेटोनेटर के माध्यम से ब्लास्ट किया जाता है। भारत सरकार ने वर्ष 2011 में नाइट्रेट के लिए पृथक लाइसेंस प्रक्रिया लागू की थी। एक अनुमान के मुताबिक इतनी बड़ी तादाद में गायब विस्फोटक से पूरे राजस्थान को तबाह किया जा सकता है।
गौरतलब है कि बीते वर्षों के दौरान देश में हुए बम धमाकों में अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल हुआ है। विस्फोटक के तौर पर 86-88 फीसदी अमोनियम नाइट्रेट, 8-10 फीसदी चूरा की हुई कोयले की ईंट एवं 4 फीसदी डीजल केअंश को मिलाकर किसी लोहे या हार्ड प्लास्टिक के कन्टेनर में टाइट भरकर डेटोनेटर के माध्यम से ब्लास्ट किया जाता है। भारत सरकार ने वर्ष 2011 में नाइट्रेट के लिए पृथक लाइसेंस प्रक्रिया लागू की थी। एक अनुमान के मुताबिक इतनी बड़ी तादाद में गायब विस्फोटक से पूरे राजस्थान को तबाह किया जा सकता है।