READ MORE : VIDEO: लोक सेवक संरक्षण संबंधी विधेयक के विरोध में अब उतरे पत्रकार , कहा लोकतंत्र के लिए खतरा है अध्यादेश न्यायालय ने लिखा कि 700 पेटी इतनी कम मात्रा नहीं है जो एक बार में चोरी हो जाए या तीन अभियुक्त थोड़े समय में उसे पी जाए। मामले में घोर लापरवाही व माल की सुरक्षा को लेकर तत्कालीन थानाधिकारी एवं मालखाना प्रभारी से विभागीय स्तर पर स्पष्टीकरण आवश्यक है। विशिष्ट अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (पीसीपीएनडीटी एक्ट) के पीठासीन अधिकारी समरेन्द्र सिंह सिकरवार ने इस निर्णय की एक प्रति पुलिस अधीक्षक को भेजकर कार्रवाई के निर्देश दिए।
न्यायालय ने निर्णय में टिप्पणी की कि थाना परिसर से यदि 700 पेटी यानी 8400 बोतल चोरी होना मान लिया जाए तो उसकी सुरक्षा का दायित्व तत्कालीन थानाधिकारी व मालखाना इंचार्ज का था, जो थाना परिसर में रखे हुए माल की सुरक्षा करने में विफल रहे। यदि पुलिसकर्मी जिन पर आमजन की सुरक्षा का दायित्व है, अपने परिसर में पड़े माल की सुरक्षा के लिए लापरवाही व गैर जिम्मेदारना रवैया अपनाएंगे तो आमजनता की सुरक्षा के विषय में गंभीर प्रश्न उत्पन्न हो जाएंगे।
यह था मामला हेडकांस्टेबल हरिराम ने 22 जनवरी 2012 को गोवद्र्धनविलास थाने में गोराणा हाल गोवद्र्धनविलास निवासी भैरूसिंह पुत्र भंवरसिंह राजपूत, दीपक पुत्र रामलाल गुर्जर व हितैष पुत्र उदयलाल सालवी के खिलाफ चोरी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। रिपोर्ट में बताया कि तीनों ने पुराने थाना भवन के मालखाने में रात को सुराख कर 700 कर्टन अंग्रेजी शराब के चुरा ले गए। आरोपितों ने यह शराब स्वयं के पीने व बेचने के लिए चुराई। पुलिस ने तीनों आरोपितों को गिरफ्तार कर उनके विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया। इस दौरान अभियोजन पक्ष ने 11 गवाह व आवश्यक दस्तावेज पेश किए। सुनवाई के दौरान सभी गवाह पक्षद्रोही हो गए। न्यायालय ने तीनों आरोपितों को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया।