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VIDEO : 18 गांवों के लोगों को हाइवे किनारे बैठकर दीवाली क्यों मनानी पड़ी , पढ़िए पूरी खबर इस पर्व पर ग्रामीणों द्वारा अपने अपने पालतू पशुओं में बैलों को स्नान ध्यान व श्रृंगार धारण करवाकर गांव के बस स्टैंड के पास चौक में लाकर खड़ा किया गया। इसके बाद गांव के वरिष्ठ पटेल गंगाराम गायरी के द्वारा परम्परा के अनुसार पूजा अर्चना कर बैलों को लापसी, चूरमा व कसार खिलाया गया। इसी बीच मिट्टी के कलश में जल भरकर बैलों की वंदना की गई। इसके बाद मिटटी के कलश को चौक के बीचोबीच लाकर फोड़ते ही ढोल नगाड़ों की थाप पर बैलों को दौड़ाया गया। ग्रामीणों की भीड़ और ढोल नगाड़ों की मधुर ध्वनि के माहौल में सज्जे धजे बैल गांव की गलियों में होते हुए बाड़ो तक पहुचे। इसी बीच गांव की गलियों में बैलों के दौड़ने हुए देख हर कोई रोमांचित हो उठा। इस आयोजन में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले बैलों के जोड़े के मालिक को पुरष्कृत किया गया।
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राजस्थान पुलिस का यह चेहरा भी देखिए… इसके बाद चारभुजा नाथ के मंदिर पर हलवा बनाकर उनको भोग लगाकर प्रसाद वितरित किया गया। इस पशुओं की क्रीड़ा को देखने के लिए मोड़ी में हजारो की संख्या में ग्रामीणों की भीड़ जमा रही। इधर वल्लभनगर स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर में अन्नकूट महोत्सव के तहत भगवान को छप्पन भोग मनोरथ का भोग लगाया गया।