केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की ओर से फिल्म की समीक्षा के लिए बनाई गई कमेटी ने शुक्रवार को ‘पद्मावती’ देखकर अपना पक्ष रखा। मेवाड़ ने सीबीएफसी को स्पष्ट कहा कि यह फिल्म रिलीज नहीं की जाए।
पत्रिका से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि फिल्म में कितना बदलाव करेंगे, पूरी फिल्म में ही इतिहास के साथ छेड़छाड़ है। 2-5 जगह हो तो समझ आए, हर जगह गड़बड़ है। कोई एक उदाहरण हो तो बताऊ, फिल्म देखकर बहुत दुख हो रहा है। बोले- नई पीढ़ी फिल्म देखकर कहेगी कि रानी पद्मिनी ऐसी थी। क्योंकि यह फिल्म में है। वे तो इसे ही सत्य मानेंगे। कोई इतिहास की पुस्तक नहीं पढ़ेगा। फिल्म देखकर वे कहेंगे यह कहानी है पद्मिनी की। मेवाड़ ने बताया कि कमेटी के अन्य सदस्य प्रो. कपिल कुमार और इतिहासकार चंद्रमणि सिंह भी फिल्म को रिलीज नहीं करने के पक्ष में है। महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउंडेशन के मेनेजिंग ट्रस्टी अरविंद सिंह ने कहा कि उन्हें तो सलाहकार के रूप में बुलाया गया था। उन्होंने फिल्म रिलीज ना करने की सलाह दी है। बाकी सर्टिफिकेट तो सीबीएफसी को देना है।
‘पद्मावत’ पर भी आधारित नहीं
मेवाड़ ने फिल्म देखने के बाद बताया कि पद्मावती फिल्म तो मलिक मोहम्मद जायसी की पद्मावत पर भी आधारित नहीं लगती। जबकि पहले यह कहा गया था कि फिल्त जायसी के पद्मावत पर आधारित है। उसे भी फॉलो नहीं किया है।
…तो बिगड़ जाएगा माहौल
उन्होंने आशंका जताई कि यदि यह फिल्म इसी रूप में रिलीज हुई तो माहौल बिगड़ेगा। कौन संभालेगा? हमारी सामाजिक समरसता प्रभावित होगी। फिल्म में किसी भी पक्ष को सही नहीं दर्शाया है। खबरें आ रही हैं कि फिल्म को 26 कट्स या संशोधनों के साथ रिलीज किया जाएगा। समझ नहीं आता कि पूरी फिल्म में ही गड़बडिय़ां हैं, कहां-कहां बदलाव करेंगे? रिलीज हुई तो बहुत दुख होगा।
2 घंटे 41 मिनट की फिल्म
मेवाड़ ने बताया कि शुक्रवार शाम 5 बजे 2 घंटे 41 मिनट की यह फिल्म देखी। उसके बाद करीब इतने ही समय फिल्म पर चर्चा हुई। अंत में तीनों सदस्य इस बात पर एकमत थे कि ऐसी फिल्म तो रिलीज नहीं की जानी चाहिए।