अदालत ने सराड़ा तहसील धनकावाड़ा निवासी मोतीलाल को 13(1)(सी) की सपठित धारा 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988, 13(1)(डी) की सपठित धारा 13 (2), भादसं 467 एवं 471 में दोषी माना। इससे पहले एसीबी के तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेंद्रप्रसाद गोयल ने 20 दिसम्बर 2006 को अदालत में चार्जशीट पेश की थी। इसमें बताया था कि आरोपित लंबे समय से देसी-विदेशी पर्यटकों से निर्धारित राशि से अधिक शुल्क की वसूली करता था।
READ MORE: उदयपुर में आज भी धारा 144, नेट रहेंगे बंद, शांति के बीच समझौता वार्ता, 53 गिरफ्तार कारगुजारी को छिपाने के लिए आरोपित पर्यटकों को उपलब्ध कराई जाने वाली शुल्क रसीद और कार्बन कॉपी वाली रसीद को अलग-अलग भरता था। 16 नवम्बर 2005 को एसीबी की आकस्मिक जांच में पर्यटकों से प्राप्त राशि और मौके पर मिली राशि में 1482 रुपए का अंतर सामने आया था। मामले में अन्य पर्यटकों से हुई पूछताछ में राशि का अंतर करीब 2605 रुपए होना सामने आया था। इसी तरह मौके पर मौजूद गोसिया कॉलोनी, किशनपोल निवासी मुजफ्फर उर्फ बबलू की शिकायत पर हुई जांच में भी रसीद एवं ली गई राशि में अंतर मिला। मामले में 14 गवाह और 74 दस्तावेजों के आधार पर अदालत ने आरोपित को सजा सुनाई।
इधर, भ्रष्टाचार मामले में रेंज बाबू को जेल उदयपुर. योजना के तहत निर्माण कार्य का चेक जारी करने के एवज में रिश्वत मांगने के आरोप में एसीबी की ओर से गिरफ्तार मुकुंदगढ़, नवलगढ़ जिला झुंझुनूं निवासी सुनील कुमार को एसीबी की विशेष अदालत ने शुक्रवार को न्यायिक अभिरक्षा में भेजने के आदेश दिए। आरोपित बेगूं स्थित क्षेत्रीय वन अधिकारी कार्यालय में बतौर रेंज बाबू तैनात है।
READ MORE: Patrika Impact : अब हो पाएगा विद्युतकर्मियों का भला, पत्रिका की खबर पर चेते अधिकारी इससे पहले जलसागर, बेगूं निवासी रघुनाथ मीणा की शिकायत पर एसीबी टीम ने मुख्यमंत्री जल स्वालंबन अभियान (फेज-2) ग्राम वन सुरक्षा एवं प्रबंध समिति सामरिया खुर्द में एमपीटी (नाड़ी) निर्माण कार्य की चेक राशि 1 लाख 38 हजार 630 रुपए देने के बदले 40 हजार रुपए की मांग की थी। यह कुल राशि का 29.5 फीसदी निर्धारित था। मामले में गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आरोपित को विशेष न्यायालय में पेश किया था।