हालांकि आरबीआई का स्पष्ट नियम है कि तकनीकी खामी पर बैंक ही पूरी तरह से जिम्मेदार है, इसमें ग्राहक का दायित्व जीरो है। बैंक को वारदात होते ही अपने इंटरनल ऑडिटर सूचना देनी होती है ताकि ऐसे मामलों में तफ्तीश कर उन्हें रोकथाम पर काम किया जा सके लेकिन बैंक की लापरवाही के कारण यह मामले दिनोंदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। इधर, पुलिस धोखाधड़ी के इन मामलों में महज परिवाद व प्राथमिकी दर्ज करने तक सीमित हो गई।
अम्बामाता थाना पुलिस ने हाल ही एन्थ्रोपॉलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से सेवानिवृत्त हुए वृद्ध दम्पती नंदाविला निवासी दिलीप नंदा व उनकी पत्नी मन्दिरा के साथ धोखाधड़ी के मामले में आरबीआई के नियमों का हवाला देते हुए कुछ जानकारी मांगी तो उन्होंने गोलमाल जवाब देकर टाल दिया। गौरतलब है कि उचक्कों ने दम्पती का गत 13 अक्टूबर को ट्रेन से बैग पार कर लिया था। बैग में सात एटीएम थे, उनमें से कैनरा बैंक के एटीएम से करीब 47 हजार रुपए की राशि निकाल ली थी।
बैंक की जिम्मेदारी है कि वह उपभोक्ता को सुरक्षित अनुभव करवाए।
एसएमएस के लिए अनिवार्य रूप रजिस्टर्ड करें
बैंक की जिम्मेदारी है कि किसी तरह की धोखाधड़ी होने पर 24 घंटे शिकायत का रास्ता खुला रखें। शिकायत का दिन व समय व तरीका नोट करें।
बैंक स्तर पर कोई गलती रहती है तब ग्राहकों की शून्य जिम्मेदारी हो जाती है। बैंक व उपभोक्ता दोनों की गलती न होकर तकनीकी खामी है तो तब उपभोक्ता की जिम्मेदारी शून्य होती है।
धोखाधड़ी की जानकारी मिलने पर उपभोक्ता तीन कार्यदिवस में बैंक को सूचित कर दे अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो उपभोक्ता की जिम्मेदारी सीमित कर रखी है।
ग्राहक द्वारा बैंक को सूचित करने के 10 दिन में बैंक को उसका खाते में दस दिन में राशि जमा करवानी होगी।
बैंक को ध्यान रखना है कि ग्राहक को किसी भी तरह ब्याज व अन्य पेनल्टी का नुकसान न हो।
यह भी जिम्मेदारी बैंक की
बैंक की जिम्मेदारी है कि ग्राहक के नुकसान का दायित्व साबित करना।
नुकसान होने पर बैंक तुरंत ही कमेटी बनाकर मामला सुलटाए, क्या कार्रवाई की, सार संभाल की जिम्मेदारी भी बैंक की है।
बैंक का इंटरनल ऑडिटर इस तरह के ट्रांक्जशन को देखें।