कर्मचारियों की सुविधा के लिए निगम के उदयपुर कार्यालय में कार्मिक अधिकारी नियुक्त है, जो कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान एवं इन्हें मिलने वाले परिलाभों के बारे में उत्तरदायी है। कार्मिक अधिकारी ही कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर शिविर ही लगवाते हैं। कार्मिक विभाग की लापरवाही के चलते कुछ कर्मचारियों को नियमानुसार आर्थिक लाभ नहीं मिल पा रहा था। एेसे में दुर्घटना में हताहत और बीमार कर्मचारियों और उनके परिजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में राजस्थान पत्रिका ने १३ दिसंबर के अंक में ‘हताहतों को समय पर नहीं मिल रही मदद’ शीर्षक से प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया। इस पर विभागीय अधिकारी हरकत में आए और पीडि़तों और उनके परिजनों को नियमानुसार मिलने वाली आर्थिक सहायता के लिए जांच करने के निर्देश दिए।
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मृतक कर्मचारी को नियमानुसार आर्थिक सहायता देने के लिए जांच के निर्देश दिए गए हैं। जांच पूरी होने के साथ ही नियमानुसार आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाएगा। इसके साथ ही अन्य कर्मचारियों की समस्याओं को भी जल्द ही दूर किया जाएगा।
एसके सिन्हा, अधीक्षण अभियंता, अविविनिलि, उदयपुर
मृतक कर्मचारी को नियमानुसार आर्थिक सहायता देने के लिए जांच के निर्देश दिए गए हैं। जांच पूरी होने के साथ ही नियमानुसार आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाएगा। इसके साथ ही अन्य कर्मचारियों की समस्याओं को भी जल्द ही दूर किया जाएगा।
एसके सिन्हा, अधीक्षण अभियंता, अविविनिलि, उदयपुर
ये था मामला कार्य के दौरान दुर्घटना में हताहत होने वाले कर्मचारियों को लेकर विद्युत निगम का कार्मिक विभाग लापरवाही के मामले सामने आए थ्ाेे। घ्ाायल और मृतक कर्मचारी के परिजन आर्थिक सहायता नहीं मिलने के चलते उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, वहीं नियमों का हवाला देकर उन्हें इधर से उधर दौडऩे के लिए मजबूर किया जा रहा है। विद्युत निगम के अधीक्षण अभियंता कार्यालय में कार्मिकों की समस्याओं के समय पर निस्तारण के लिए कार्मिक अधिकारी नियुक्त किया हुआ है। इसके बावजूद कर्मचारियों की समस्याओं का समय पर निराकरण नहीं होने पर कर्मचारी और उनके परिजन एक अधिकारी से दूसरे के पास चक्कर लगाने को मजबूर हैं। इस संबंध में अजमेर विद्युत वितरण निगम श्रमिक संघ की ओर से उच्चाधिकारियों को ज्ञापन देकर स्थिति से अवगत करवाया गया। इसमें उदाहरण सहित बताया गया है कि मृतक कर्मचारियों और घायल कर्मचारियों के परिजनों को नियमों में उलझाने के साथ ही आर्थिक सहायता से महरूम किया जा रहा है।