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उदयपुर

केंद्र सरकार कर रही आयुर्वेद का प्रचार, इधर बिना वैद्य के प्रदेश के औषधालय ‘बीमार

ayurved news एक आयुर्वेद चिकित्सालय और सात औषधायलयों के हाल बेहाल, आयुर्वेद के नाम पर लोगों तक पहुंच रही है मनमानी दवाइयां

उदयपुरDec 09, 2019 / 11:45 pm

Sushil Kumar Singh

केंद्र सरकार कर रही आयुर्वेद का प्रचार, इधर बिना वैद्य के प्रदेश के औषधालय 'बीमार

केंद्र सरकार कर रही आयुर्वेद का प्रचार, इधर बिना वैद्य के प्रदेश के औषधालय ‘बीमार

उदयपुर/ फलासिया. ayurved news वेदकालीन आयुर्वेद पद्धति और योग शिक्षा को लेकर केंद्र की सरकार जहां विश्व में अपनी उपलब्धियों का डंका मनवाने के लिए प्रचार-प्रसार कर रही है। वहीं प्रदेश की सरकार आयुर्वेद चिकित्सालय और औषधालयों में चिकित्सकों की नियुक्ति को लेकर लाचार दिख रही है। यही वजह है कि प्रदेश के आयुर्वेद चिकित्सालयों से मरीजों को मोह हटता जा रहा है। उदयपुर संभाग मुख्यालय के फलासिया क्षेत्र में संचालित एक आयुर्वेदिक चिकित्सालय (मरीज भर्ती की सुविधा) और सात औषधालयों में बीते कई वर्षों से आयुर्वेद चिकित्सकों के पद रिक्त पड़े हैं। आलम यह है कि कहने को यह चिकित्सालय और औषधालय समय पर खुलते और बंद होते हैं, लेकिन उपचार के नाम पर यहां की व्यवस्थाएं नर्सिंग स्टाफ और अधीनस्थ स्टाफ देखते हैं। ऐसे में गुणवत्ता युक्त उपचार के अभाव में लोगों का मोह आयुर्वेद से भंग होता जा रहा है।
जिम्मेदारी के नाम पर खानापूर्ति!
कहने को तो फलासिया पंचायत समिति क्षेत्र के मादड़ी, कोल्यारी, बिछीवाड़ा, सोम, मानपुर, डैया, बिरोठी व फलासिया में प्रदेश सरकार की ओर से करोड़ों की लागत वाले राजकीय भवन बना रखे हैं, लेकिन हकीकत में इन राजकीय भवनों में ड्यूटी ऑवर्स में भी सन्नाटा पसरा रहता है। इक्का-दुक्का नाम के मरीजों का उपचार कर नर्सिंग स्टाफ ओपीडी और आइपीडी का कोटा पूरा करते हैं। उसमें भी मानपुर में ऐसा औषधालय है, जहां एक भी स्टाफ की सुविधा नहीं है। व्यवस्था के तहत सप्ताह में दो दिन के लिए सोम क्षेत्र से यहां एक नर्सिंग स्टाफ को नियुक्त किया हुआ है।
नहीं होती मोनेटरिंग
आयुर्वेद महकमे में बिगड़े ढर्रे की एक वजह नियंत्रण की कमी भी है। उच्चाधिकारियों की नजरंदाजी के बीच इन औषधालयों और चिकित्सालयों का नियमित निरीक्षण नहीं होता है। इसके चलते नर्सिंग स्टाफ की मनमानी हमेशा हावी होती है। पंचायत समिति स्तर पर दिखावे के लिए एक नोडल ऑफिसर की भी व्यवस्था है, लेकिन हकीकत में यहां कोई भी चेहरा निरीक्षण का जोखिम नहीं उठाता है। नोडल के नाम पर केवल दस्तावेज आगे बढ़ाने का कार्य होता है। वैद्यों के अभाव में ये चिकित्सालय केवल नर्सिंग स्टाफ के भरोसे चल रहे हैं।
तकनीकी में भी पिछड़े
एक ओर ऑन सुविधा के साथ सरकारी महकमे जहां अपडेट हो रहे हैं। वहीं आयुर्वेद महकमे के कर्णधार आज भी पुरानी परिपाठी पर ही काम कर रहे हैं। उच्चाधिकारियों तक सूचनाएं पहुंचाने के लिए यहां आज भी हस्तलिखित दस्तावेज बढ़ाने का प्रचलन है। विभागीय कार्मिकों की स्थिति यह है कि नोडल होने के बावजूद यहां के कर्मचारियेां की तनख्वाह आज भी पुरानी व्यवस्था के तहत उदयपुर मुख्यालय से ही बन रही है।

नोडल प्रभारी भी गायब
फलासिया पंचायत समिति में अब से पहले कभी एक नोडल प्रभारी था। उसके जाने के बाद से एक नर्सिंग कर्मचारी इस व्यवस्था को संभालता है। सभी रिपोर्ट वह संकलन कर झाड़ोल भिजवाता है। डाक के माध्यम से यह दस्तावेज उदयपुर मुख्यालय पहुंचते हैं।
भानू कुमार जैन, नोडल प्रभारी, झाड़ोल
पूरा उदयपुर प्रभावित
आयुर्वेद विभाग में स्टाफ और चिकित्सकों की कमी से फलासिया ही नहीं वरन पूरा उदयपुर जिला प्रभावित है। प्रदेश सरकार को इस समस्या से अवगत कराया हुआ है। Ayurved News आगामी दिनों में फलासिया क्षेत्र में एक से दो वैद्य की सुविधा दी जाएगी।
गिरजाशंकर जोशी, उपनिदेशक, आयुर्वेद विभाग उदयपुर

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