एक दिन यम अपनी बहन की नाराजगी को दूर करने के लिए उनसे मिलने जा पहुंचे। भाई को आया देख यमुना बहुत खुश हुईं। उसने भाई के लिए खाना बनाया और खूब आदर सत्कार किया। बहन का प्यार देखकर यम भी बेहद खुश हुए और उन्होंने यमुना को उपहार में यह वर दिया कि आज के दिन जो भाई अपनी बहन के घर टीका लगवाकर खाना खाएगा उसकी अकाल मृत्यु नहीं होगी। उसी परम्परा के निर्वाह में यह दिन यम द्वितीया अथवा भाई दूज के रूप में मान्य हुआ।
बहनों ने मांगी भाइयों की लंबी उम्र हर घर में बहनों ने स्नान-ध्यान के बाद विष्णु-गणेश की पूजा की। इसके बाद शुभ मुहूर्त में चावल के घोल से बनाए चौक पर बहनों को भाई के माथे पर टीका लगा उसकी लंबी उम्र की कामना कर भोजन कराया। बदले में भाइयों ने भी यथाशक्ति बहिनों को भेंट-उपहार दिए। नन्हे भाई-बहनों ने भी अपने परिजनों के दिशा-निर्देशन में परम्परानुसार भाई दूज का पर्व मनाया। बहनों ने छोटे भाइयों के भाल पर रोली का टीका लगा उसका मुंह मीठा कराया। बदले में माताओं ने भाई की ओर से बहन को भेंट राशि ड्रेस आदि प्रदान किए। गोवर्धन पूजा में गायों की पूजा दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की गई। इसके तहत घरों और मंदिरों के बाहर गाय के गोबर से गोवर्धनजी बनाए गए। गोवर्धनजी की पूजा के साथ ही गाय गाय की पूजा की गई और गाय के पांव से गोवर्धनजी को गचराया गया। इसके बाद गायों को लप्सी और अन्य प्रकार के व्यंजन भोग धराए गए।
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अन्नकूट उत्सव में उमड़े श्रद्धालु खेखरे के दिन सुबह जहां गोवर्धन पूजा हुई वहीं शाम को विभिन्न मंदिरों महालक्ष्मी मंदिर , जगदीश मंदिर, श्रीनाथजी मंदिर, अस्थल मंदिर, राधा-वल्लभ मंदिर, सीता राम मंदिर सहित अन्य कई जगह अन्नकूट उत्सव हुए। अन्नकूट महोत्सव के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़े।
अन्नकूट उत्सव में उमड़े श्रद्धालु खेखरे के दिन सुबह जहां गोवर्धन पूजा हुई वहीं शाम को विभिन्न मंदिरों महालक्ष्मी मंदिर , जगदीश मंदिर, श्रीनाथजी मंदिर, अस्थल मंदिर, राधा-वल्लभ मंदिर, सीता राम मंदिर सहित अन्य कई जगह अन्नकूट उत्सव हुए। अन्नकूट महोत्सव के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़े।
श्रीनाथजी में हुई अन्नकूट की लूट श्रीनाथजी की हवेली में शाम को अन्नकूट के दर्शन हुए। इस दौरान ठाकुरजी के सम्मुख विभिन्न प्रकार के अन्न से बने व्यंजन भोग धराए गए। दर्शन के बाद चावल, मूंग की दाल आदि को वैष्णवजनों के लिए रखा गया। जहां वैष्णवजनों ने जमकर इस प्रसाद को ग्रहण किया और अपने साथ घर ले गए।