scriptvideo: सलूम्बर के बाद झल्लारा में बिन निविदा लगाई हाईमास्ट लाइट | Bin Tender High Mist Light in Zallara After Salumbar | Patrika News
उदयपुर

video: सलूम्बर के बाद झल्लारा में बिन निविदा लगाई हाईमास्ट लाइट

बिन निविदा खरीदी 22 लाख की हाईमास्ट, बाजार से महंगी दर पर की खरीदी

उदयपुरFeb 23, 2019 / 12:09 am

Sushil Kumar Singh

udaipur

video: सलूम्बर के बाद झल्लारा में बिन निविदा लगाई हाईमास्ट लाइट

डॉ. सुशील सिंह चौहान/ उदयपुर. चहेती फर्मों के लिए कायदों को ताक में रखकर बाजार से अधिक लागत में हाईमास्ट लाइटें लगाने का नया मामला सामने आया है। सलूम्बर के बाद झल्लारा पंचायत समिति परिसर में सहित कस्बा मुख्यालय के बस स्टैण्ड, वन नाका, भबराना, धोलागिरी खेड़ा, कल्याणा, बोरी सहित करीब ४ गांवों में बिन निविदा के 7 हाईमास्ट लाइटें लगाने की पुष्टि हुई है। खास यह है कि इन लाइटों क लागत बाजार दर से अधिक है। मामले में 22 लाख रुपए का भुगतान भी हो चुका है।
दस्तावेज के हिसाब से पंचायत समिति प्रशासन ने निविदा निकालने की बजाए प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी कर बांसवाड़ा की एक कार्यादेश जारी किए। फर्म के कोटेशन मात्र से तत्कालीन विकास अधिकारी रमेशचन्द्र मीणा ने फर्म को भुगतान कर दिया। नई बात जो सामने आई है वह यह है कि पंचायत समिति सलूम्बर व झल्लारा में सहायक लेखाधिकारी प्रथम का चार्ज एक ही व्यक्ति के पास है। ऐसे में दोनों जगहों पर गड़बड़ी के मामले कई सवालों को जन्म दे रहे हैं।
आचार संहिता में भी जल्दबाजी
कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष महेन्द्र सिंह चौहान ने आरोप लगाया कि तत्कालीन विकास अधिकारी को हाई मास्ट लाइटें लगाने की इतनी जल्दी थी कि चुनाव से पहले आचार संहिता को दरकिनार कर और लाइटें लगवाने पर आमादा थे। विपक्ष में रहते हुए उनकी ओर से आचार संहिता का हवाला भी दिया गया। लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। अब विकास अधिकारी के तबादले के बाद करीब २० लाख लागत की निविदा प्रकिया ठण्डे बस्ते में पड़ी हुई है।
कहता है कायदा
निविदा प्रक्रिया का कायदा कहता है कि विकास अधिकारी अधिकार क्षेत्र में बिना निविदा आमंत्रित किए हुए एक लाख लागत तक के कार्य करा सकता है। एक साल में अधिकतम ५ बार ५ लाख तक के काम करा सकता है। आरोप यह भी लग रहे हैं कि तत्कालीन विकास अधिकारी का कुछ कार्यकाल बांसवाड़ा में गुजरा था। इसी परिचय को ध्यान में रखकर विकास अधिकारी ने बांसवाड़ा की फर्म को सीधे लाभान्वित करने के प्रयास किए। भबराना का आलम यह है कि वहां लगाई गई लाइट महज शो-पीस बनकर रह गई है। इसकी वजह लाइट को अब तक बिजली कनेक्शन की सुविधा नहीं मिलना रहा है। रूपरेखा बनाते समय जल्दबाजी में प्रशासनिक अमला यह तय करना भूल गया कि लाइटों को बिजली की सप्लाई कहां से मिलेगी। इसके बिजली बिल का भुगतान कौन करेगा।
भ्रष्टाचार की बू
भ्रष्टाचार की बू तो तभी आ गई थी, जब मेरे स्तर पर सूचना मांगने के बावजूद पंचायत समिति ने इसकी जानकारी नहीं दी। जिला परिषद की साधारण सभा में सीईओ ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया था। सरकारी धन की बर्बादी को लेकर उचित जांच होनी चाहिए।
सुशीला कुंवर, जिला परिषद सदस्य
मीटिंग में हूं
अभी मीटिंग में हूं। बाद में बात करता हूं।
धर्मराज गुर्जर, उपखण्ड अधिकारी, सलूम्बर

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