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उदयपुर

Bird Festival : आओ पक्षी बचाएं…परिंदों से लगाव ने बढ़ाया मेनार का मान

-जिले के मेनार गांव और उसके दो तालाबों का जिक्र होते है कि सामने आती है प्रवासी पक्षियों के बसेरे की तस्वीर। ग्रामीणों में पक्षियों के प्रति आस्था इस

उदयपुरDec 22, 2017 / 01:32 am

bharat sharma

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उदयपुर/मेनार. जिले के मेनार गांव और उसके दो तालाबों का जिक्र होते है कि सामने आती है प्रवासी पक्षियों के बसेरे की तस्वीर। ग्रामीणों में पक्षियों के प्रति आस्था इस कदर है कि गांव के तालाबों में मछली पकडऩे का ठेका तक नहीं देते और सिंचाई के लिए इनका पानी भी नहीं लेते हैं। मेनार आने वाला हर पर्यटक और पक्षी प्रेमी सह अस्तित्व की यादें साथ लेकर जाता है।
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जिला मुख्यालय से करीब 45 किमी दूर मेनार गांव दो खूबसूरत जलाशयों के मध्य प्रकृति की गोद में बसा है। इसकी शांत एवं सुकूनभरी आबोहवा हजारों किमी दूर से आने वाले प्रवासी पक्षियों को पनाह देती है। इसी कारण इसे बर्ड विलेज के नाम से जाना जाता है। करीब 150 तरह के देशी-विदेशी प्रवासी परिंदों की आश्रय देते हैं गांव के दोनों जलाशय।
आम की टहनियां पर चमगादड़ों की बस्तियां
गांव के लोगों ने दोनों तालाब ब्रह्म सागर व धण्ड तालाब केवल परिंदों के लिए आरक्षित कर रखा है। पिछले कुछ बरसों से मेनार प्रवासी पक्षियों के साथ ही स्थानीय पक्षियों के आवास तथा प्रजनन के लिए आकर्षण का केन्द्र बन हुआ है। ब्रह्म तालाब के किनारे पर भगवान शिव की विशाल मूर्ति स्थापित है। तालाब के किनारे पर आमों की वृक्षावली है जिसकी टहनियां पर चमगादड़ों की बस्तियां है। शाम को उनके पानी पीने की क्रिया बहुत ही मनमोहक होती है।
ग्रेट क्रिस्टेड ग्रीब प्रजनन करते हुए भी देखा गया
पक्षीविद् प्रदीप सुखवाल ने बताया कि तालाबों के मुख्य आकर्षण ग्रेट क्रिस्टेड ग्रीब है जो देशान्तर से यहां आती है। इन्हें यहां का पारिस्थितिकी तंत्र इतना पंसद आया कि यहीं प्रजनन करने लगे। सेवानिवृत्त एसीएफ डॉ. सतीश कुमार शर्मा बताते हैं कि गांव में तालाब का निर्माण इस प्रकार हुआ है कि कहीं गहरा तथा कहीं छिछला है जो आदर्श जलीय पारिस्थितिकी का निर्माण करता है। तालाब के किनारे घाट बने हैं जिससे पक्षियों की गतिविधियां को बाधित किए बगैर इनका अवलोकन किया जा सकता है। पर्यावरण प्रेमी भारती शर्मा बताती है कि वहां पाए जाने वाले प्रमुख पक्षी रडीशैल डक, ग्रे लेग गूज, बार हैडेड गूज, नदर्न पिनटेल यूरेशियन विजन, गेडवाल, मार्श हैरियर, कॉमन क्रेन, फ्लेमिंगो, पेलिकन आदि।
वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी का पसंदीदा स्थल
मेनार पक्षी प्रेमी फोटोग्राफर्स का भी प्रिय स्थल है। दिसम्बर में होने वाले बर्ड फेयर के दौरान पक्षी प्रेमी मेनार आते हैं और सुदूर देशों से आए पक्षियों की गतिविधियां देखने के साथ ही इन्हें कैमरे में कैद करते हैं। गांव वालों ने आरक्षित तालाबों पर पक्षी दर्शन, पक्षी विहार के बोर्ड भी लगा रखे हैं। पक्षी दर्शन के लिए पहुंचने वाले लोगों को वहां पक्षी संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाता है। गांव के युवाओं की टीम हर रविवार को तालाब के आसपास सफाई अभियान में भागीदारी निभाती है।
सुदूर से आते हैं प्रवासी पक्षी
पक्षीविद् विनय दवे के अनुसार हिमालय की ऊंचाई वाले क्षेत्र, चीन, मलेशिया, मंगोलिया, साइबेरिया, एशिया व यूरोप में तेज सर्दी पड़ती है जिससे झीलें जमने और भोजन की कमी होने के कारण पक्षी सर्दियों में यहां आते है। इनका अक्टूबर में पहुंचना शुरू होता है जो नवम्बर तक जारी रहता है। फरवरी में ये पुन: लौटना शुरू करते हैं और मार्च के अंतिम दिनों तक सभी लौट जाते हैं। तालाब में मत्स्याखेट नहीं होने से इन्हें भरपूर भोजन मिलता है, वहीं घास की पत्तियां खाने वाले परिन्दे आस-पास के खेतों में विचरण करते हैं। कुछ पक्षी दिनभर 35 हजार फीट ऊंची उड़ान भरते हैं और रात्रि में भोजन-पानी के लिए यहां ठहरते हैं।
डाक बंगला मिलने का इंतजार
मेनार तालाब पर पक्षीप्रेमियों की सुविधा के लिए मुख्य हाइवे पर स्थित पीडब्ल्यूडी के बेकार पड़े डाक बंगले को वन विभाग को देने को लेकर जनप्रतिनिधियों ने प्रयास शुरू किए हैं। हमें वह भवन मिलते ही हम उसका जीर्णोद्धार करवा कर उसे बेहतर बनाएंगे ताकि मेनार जाने वाले बर्ड वॉचर्स को ठहरने का सुविधा उपलब्ध हो सके।
राहुल भटनागर, मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव)

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