लॉकडाउन के दौरान अलार्म नहीं परिंदों की चहचहाहट से खुलती है नींद
कोरोना काल में प्रकृति खिली-खिली नजर आ रही
लॉकडाउन के दौरान अलार्म नहीं परिंदों की चहचहाहट से खुलती है नींद
मेनार . (उदयपुर). कोरोना संक्रमण के इस महासंकट के दौर में जहां दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है, वहीं एक तरफ प्रकृति खिलखिला रही है और अपने आप को मुक्त मान रही है। मनुष्य जाति के अलावा के पृथ्वी के सभी जीव जन्तु आजादी का अनुभव कर रहे हैं क्योंकि लॉकडाउन की वजह से इंसानों के घरों में कैद होने से प्रकृति पुन: मुस्कराने लगी है। कोरोना काल में प्रकृति खिली-खिली नजर आ रही है। सारे कल-कारखाने, औद्योगिक इकाइयां, आवागमन आदि उपक्रम बंद हैं। इन औद्योगिक इकाइयों के बंद होने से केमिकल युक्त दूषित पदार्थ नदियों में प्रवाहित ना होने से विश्व की अधिकांश नदियों का जल स्वच्छ हो चुका है। झीलों का पानी भी मनोहारी व पारदर्शी हो चुका है। नदियों में जल जीव दिखाई देने लगे हैं । हमारे आस पास भी अनेक ऐसे बदलाव आए हैं, जो मानवीय गतिविधियां कम होने से हुए है। शहर और गांवो में सबसे ज्यादा बदलाव मोर के व्यवहार में नजर आया है। पहले मोर जहां एक तरफ ना के बराबर दिखाई पड़ता था वह अब हर जगह सार्वजनिक जगहों पर दिखाई दे रहा है। वही बाग-बगीचे चिडिय़ों के कलरव से गूंज रहे हैं। बड़े-बड़े शहरों में लोग घड़ी के अलार्म सुनकर जगते थे लेकिन अब चिडिय़ों के कोलाहल से लोग उठने लगे हैं। जीव जन्तु सड़कों पर खुलेआम विचरण करते नजर
आ रहे हैं।
& कोरोना के चलते लागू लॉकडाउन में मनुष्यों की गतिविधियों में काफी कमी आई है। इस परिवर्तन से मोर उन स्थानों पर भी आने लग गया, जहां मानवीय व्यवधान से पहले नहीं आता था या फिर कम आता था, लेकिन अब उन स्थानों पर अब हमे ये ज्यादा दिखने लगा है। अब ये हमे दिखने के ज्यादा अवसर दे रहा है। हमारे आस पास क्षेत्र के अलावा अन्य जगह भी ज्यादा ही दिख रहा है, इससे ये प्रतीत हो रहा है कि मोर की संख्या बढ़ गई है , जबकि ये संख्या बदले हुए माहौल के कारण बढ़ी हुई प्रतीत हो रही है। क्योंकि ये प्रजाति वर्षा ऋतु में प्रजनन करता है। अत: इसने अपना प्रजनन 2020 के मानसून में किया था। अब ये 2021 में करेगा, बीच में प्रजनन से संख्या नहीं बढ़ी । अत: अगर हम वन्य प्राणियों को यदि व्यवधान मुक्त और सुरक्षित माहौल दें तो ये हमे बेहद ओर करीब नजर आने लगेंगे एवं बहुत देर तक नजर आएंगे।
डॉ. सतीश शर्मा, वन्य जीव विशेषज्ञ, उदयपुर
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