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उदयपुर

तराशते रहिए हीरे सी बेटियों को, दुनिया में बिखेरेंगी चमक

पत्रिका का बिटिया एट वर्क के तहत बेटियां किसी से कम नहीं कार्यक्रम

उदयपुरSep 23, 2019 / 05:30 pm

Krishna

तराशते रहिए हीरे सी बेटियों को, दुनिया में बिखेरेंगी चमक

तराशते रहिए हीरे सी बेटियों को, दुनिया में बिखेरेंगी चमक

उदयपुर . बेटियों हीरा हैं लेकिन उन्हें तिजोरी में बंद करके मत रखिए, उन्हें तराशते रहिए ताकि उनकी चमक पूरी दुनिया में बिखरती रहे…, बेटियों को खुला आसमान दीजिए, वे गगन नाप लेंगी… बेटियों के लिए कुछ ऐसे ही भाव व्यक्त किए माता और पिताओं ने, वहीं बेटियों ने भी खुलकर अपने मन की बात रखी। कुछ क्षण ऐसे भी आए जब धीर-गंभीर समझे जाने वाले पिताओं की आंखें भी बेटियों की चंचलता, प्यार और समर्पण पर बोलते हुए छलछला आईं।मौका था डॉटर्स डे पर राजस्थान पत्रिका की ओर से आयोजित बिटिया एट वर्क अभियान के तहत ‘बेटियां किसी से कम नहीं’ कार्यक्रम का। कार्यक्रम में बेटियों ने माता-पिता के साथ अपने रिश्तों को गीत- कविता के माध्यम से बयां किया तो माता-पिता ने भी बेटियों पर नाज करते हुए उनके लिए गीत की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में एडवोकेट, शिक्षक, डॉक्टर्स, बिजनेसवीमन, स्टूडेंट लीडर्स, स्पोट्र्सपर्सन, सोशल वर्कर आदि क्षेत्र से जुड़े लोगों और बेटियों ने हिस्सा लिया।

कविता और गाने में बेटियों की दिखी जज्बे की झलक

प्रिशा खत्री ने ‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के..कविता से शुरुआत की, वहीं रिया राठौड़ ने अपनी खूबसूरती तेरी मिट्टी में मिल जावां.. गाना गाकर सबको तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। नीता जैन ने
‘आखिर क्यों कोख में भी मार दी जाती हैं बेटियां..’ और चंदा है तू, मेरा सूरज है तू..गाकर बेटियों के लिए ये गीत समर्पित किया।स्नेहा जोशी ने अपनी मां को सबसे बेहतर दोस्त बताते हुए कहा कि हर कदम पर मां ने साथ दिया। उन्होंने हर बेटी को आत्मनिर्भर बनने का संदेश भी दिया। रानू सेन ने कहा कि बेटियां बहुत अनमोल होती हैं। वे हीरा होती हैं लेकिन उन्हें तिजोरी में बंद करने के बजाय उन्हें तराशने की जरूरत है।

बेटियों के लिए पिता हुए भावुक
कार्यक्रम के दौरान पंकज शर्मा ने कहा कि बेटियों के बिना इस संसार की कल्पना नहीं की जा सकती है, बेटियां न हो तो कुछ भी नहीं है। वे अपनी बेटी के बारे में बताते हुए भावुक हो गए और उनकी आंखें भर आईं। इसी तरह मंजीत सिंह भी जब अपनी बेटी की उपलब्धियों को लेकर बता रहे थे, इसी दौरान उनकी आंखों में आंसू आ गए और वे बोले कि मुझे खुशी है कि मैं अपनी बेटी का सबसे पहला दोस्त हूं। शेर सिंह चौहान ने कहा कि बेटी और बेटे को समान माना जाना चाहिए। मेरी गुडमॉर्निंग बेटी से ही होती है। बेटियां सब कुछ हैं, मां-बाप के बुढ़ापे का सहारा भी हैं।
बेटियों के जज्बे को किया सलाम
फतहसागर पर पापा की लाड़ली बेटियां के नाम से स्टॉल लगाने वाली टीना और सोनल लोहार ने अपने संघर्ष की कहानी बताई कि कैसे उनके पिता के गुजर जाने के बाद उन्होंने संघर्षों का सामना किया और आत्मनिर्भर बनने के लिए फतहसागर पर स्टॉल शुरू की। पिता से बेहद प्रेम करने वाली और उनको अपना आदर्श मानने वाली इन बेटियों ने स्टॉल का नाम ही कुछ ऐसा रखा कि सभी इन्हें जानने के इच्छुक होते हैं। बेटियों की कहानी सुनने के बाद उपस्थित सभी लोगों ने तालियां बजाकर उनके जज्बे को सलाम किया। इसी तरह डिम्पल भावसार ने अपनी भावना व्यक्त करते हुए कहा कि बेटियां किसी से कम नहीं है। खुद को किसी से कम नहीं समझना चाहिए, हर बेटी बहुत मजबूत है।
इन्होंने भी व्यक्त की भावनाएं
खुशी जैन, प्रेक्षा , लोकेश जोशी, भूमिका चौहान, संजना, भैरूलाल कलाल, नव्या, सुमन द्विवेदी, प्राची, सतीश जैन, छवि, हेमलता सैनी, संध्या, इना, नवीन प्रकाश व्यास, डॉली, नरेंद्र व्यास, खुशी, ख्याति, योगेंद्रसिंह भाटी, कृष्णा कंवर, शिरांगी, डॉ. राजेश राठौड़, जयश्री खत्री, अनिल पालीवाल, विराध्या सिंह, डिम्पल राठौड़, नेहा, गोपी कुमावत, शौर्यांशी, चित्रा शेखावत, अनन्या, राकेश सोनी।

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