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उदयपुर

कैनवास पर आदिवासी संस्कृति व कला को उकेरा, प्रधानमंत्री करेंगे अवलोकन

6 फीट ऊंचे व 120 फीट लंबे कैनवास में आदिवासी संस्कृति की झलकजिले के दो उभरते कलाकारों की कला को देख हर कोई रह गया दंग

उदयपुरJan 04, 2022 / 05:51 pm

surendra rao

Carved tribal culture and art on canvas, Prime Minister will observe

कैनवास पर आदिवासी संस्कृति व कला को उकेरा, प्रधानमंत्री करेंगे अवलोकन

बावलवाड़ा. (उदयपुर). जिले के खेरवाड़ा के नयागांव के दिलीप कुमार डामोर व देवाली के मांगीलाल गमेती को मौका मिला तो उन्होंने कूंची से कैनवास पर मेवाड़ के आदिवासी कलाओं को बारीकी से ऐसा उकेरा कि देखने वाले दंग रह गए। ६ फीट ऊंचे व १२० फीट लंबे कैनवास पर उभरकर आई भील कला के चित्रण का अब अन्य कलाकृतियों के साथ गणतंत्र दिवस समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अवलोकन करेंगे।
डामोर व गमेती ने यह कलाकृति भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय संस्कृति मंत्रालय नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट (नगमा) नई दिल्ली द्वारा 25 दिसम्बर 2021 से 2 जनवरी तक चितकारा विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में आजादी के अमृत महोत्सव कला कुंभ के तहत अनसंग हिरोज विषय पर आधारित आयोजित कलाकुंभ के दौरान बनाई थी। इस कुंभ में देशभर से आमंत्रित कलाकारों ने भाग लिया। राजस्थान की भील पेंटिंग के लिए नयागांव के दिलीप कुमार व उदयपुर देवाली के मांगीलाल गमेती का चयन हुआ था। इनके अलावा बनी अन्य सभी कलाकृतियां भारत सरकार के संग्रहण में रहेगी। राजस्थान की भील पेंटिंग की पहचान आदिवासी कलाओं व भील समसामयिक कलाओं में भी अपनी पहचान बरकरार रख पाएगी।
भील समुदाय के जनजीवन को दर्शाया
भील पेंटिग में डूंगरपुर राजस्थान के भील समुदाय कि 12 वर्ष कि काली बाई ने अपने अंग्रेजी हुकूमत व गुलाम सामंतवादी राजा के आदिवासियों पर किए जुल्म अत्याचार, राजा के सैनिकों द्वारा विद्यालय बंद करवा कर शिक्षा से वंचित रखने के मंसूबे, सैनिक काली बाई के गुरू को गाड़ी से पैर बांध कर ले जाते हुए व काली बाई के ग्वाल से आते हुए अपने गुरू की रस्सी अपनी दातंली से काट कर गुरु की जान बचाने का चित्रण है। चित्र में अंग्रेजों द्वारा उन्हें गोलियों से भूनने व अत्याचार को दिखाया हैं। अकबर की सेना को हल्दी घाटी में परास्त करने वाले गुरिल्ला युद्ध के धनी भील राजा (राणा) पूंजा एवं आदिवासियों व देश के युवाओं के आईकॉन और स्वतंत्रता सेनानी यंग और धरती आंबा बिरसा मुंडा के उलगुलान और मेवाड़ कि विश्व प्रसिद्ध गवरी में नाट्य, वाद्य ,भील गीत और बॉडी पेंटिंग भक्ति भील समुदाय के जन जीवन, विवाह, दिनचर्या, प्रकृति व प्रकृति से जुड़ेे हुए कई कार्य व प्रकृति से जीवन की प्रेरणाएं प्रकृति जीव जन्तु प्रेम और प्रकृति भक्ति आदि रंगों के द्वारा केनवास पर उकेरा। कार्यशाला का समापन चंडीगढ़ के गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित ने किया।

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