————– इसलिए हो रहा है ब्लैक फंगस – कोरोना उपचार के लिए ली गई दवाइयों में स्टेराइड की मात्रा होने से ये समस्या बढ़ती जा रही है। – ऐसे मरीज जो मधुमेह यानी शुगर से पीडि़त हैं, यदि वे अपनी शुगर नियंत्रित नहीं रखेंगे तो ये परेशानी हो सकती है। कोरोना के उपचार से ठीक होने के बाद भी करीब तीन माह तक नियमित शूगर को लेवल में रखना होगा।
– खेतों में काम करने वाले किसानों, धूल मिट्टी से जुड़े कार्यों में शामिल लोगों में यह बीमार ज्यादा निकलकर आ रही है, इसका कारण है कि फंगस हाथों, नंगे पैरों व नाक से शरीर में जा रहा है। यदि किसान, खदानों में काम कर रहे लोग, ईंट भट्टों वाले लोग हाथों में ग्लब्ज, मुंह पर नियमित मास्क व पैरों में जूते पहनकर काम करेंगे तो इसका खतरा टल जाएगा।- विभिन्न उपचारों के लिए आ रहे मरीजों को स्टेरोइड बेहद जरूरी होने पर ही लिखने पर भी एमबी में चर्चा की जा रही है, ताकि मरीजों को बचाया जा सके।
—– ब्लैक फंगस: ये किटाणु हैं, शरीर के जिस भाग में पहुंचता है उसे गला देता है। यानी रक्त कोशिकाओं को जमा देता है, जिससे उस अंग तक खून नहीं जाता है, इससे शरीर का वह अंग काला पड़ जाता है। यह चेहरे, नाक, कान व फेंफड़ों पर अटैक करता है, इसके अलावा चेहरे पर कालापन, नाक में से काला जमा मवाद निकलने, दांत ढीले पडऩे, लगातार सिर में दर्द रहने, नाक बंद हो जाने, खांसी के साथ बलगम में खून निकलने जैसे लक्षण नजर आते हैं।
—- मौत होने का खतरा यदि समय रहते इसका उपचार शुरू ना हो और इसका असर बढऩे से मौत होने का खतरा मंडराता रहता है, क्योंकि ब्लैक फंगस सबसे तेज गति से फेंफड़ों को गला देता है।
————- ब्लैक फंगस के मरीज अब लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जल्द ही इएनटी सर्जरी शुरू करनी होगी, ताकि मरीजों को बचाया जा सके , जो मामले आ रहे हैं उनमें कुछ केस सर्जरी से ही ठीक होने वाले हैं, फिलहाल तो केवल इंजेक्शन से ही काम चला रहे हैं।
डॉ नवनीत माथुर, विभागाध्यक्ष इएनटी विभाग एमबी हॉस्पिटल उदयपुर