महिला थाने की शहर से करीब 7 किलोमीटर दूरी को कम करने के लिए पुलिस अधिकारी स्तर पर इसके शहर के बीच लाने की कवायद शुरू कर दी गई। अभी शहर में पुलिस व अन्य एजेन्सियों के खाली पड़े भवन व भूखंड देखे जा रहे है। जहां भी थाना चलाने की सुगम जगह उपलब्ध होगी वहां पर शीघ्र ही थाने को शिफ्ट किया जाएगा। गौरतलब है कि पहले भी महिला थाने शहर के हाथीपोल थाना परिसर में संचालित था। वर्ष 2008 में चित्रकूटनगर में नए भवन में चला गया। थाना शहर से काफी दूरी होने से पीडि़ताओं की परेशानियां बढ़ गई थी। पत्रिका ने भी समय-समय पर महिलाओं की पीड़ा को उठाते हुए थाने को शहर में लाने संबंधी खबरे प्रकाशित की थी। पूर्व में इस पर थाने को मानव तस्करी यूनिट में लाने के आदेश हुए लेकिन सरकार बदलते ही सब धरा रह गया।
परेशानी भरा थाना है यह
महिला थाना अभी शहर से सात किलोमीटर की दूरी।
आवागमन का कोई सीधा साधन नहीं। स्वयं के वाहन या किराए वाहन ही विकल्प, शहर से थाने तक आने का करीब दो सौ रुपए किराया ।
एक बार थाने में रिपोर्ट आने के बाद परामर्श केन्द्र व थाने की काउंसलिंग में परिवादिया व उनके परिजनों करीब पांच से छह चक्कर। प्रति चक्कर में किराए व दिनभर की मशक्कत से सभी परेशान।
महिला के लिए अभी यह केवल यह दिन का थाना है यहां सुनसान जगह होने से रात में कोई नहीं आता।
रात्रिकालीन में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित थाना।
थाने की दूरी के कारण अनावश्यक ही अधिकारियों के पास महिला प्रताडऩा के परिवाद का अतिरिक्त बोझ।
न्यायालय, आईजी व एसपी कार्यालय से दूरी होने से अतिरिक्त खर्च पीडि़ताओं व परिजनों से बड़ी मिलेगी राहत