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उदयपुर

कमाई के लिए बापू के आदर्शों से समझौता, गांधी स्मृति मंदिर समिति को आवंटित जमीन को मामूली दर पर बेच देने का खुलासा

गांधी स्मृति मंदिर समिति को टाउन हॉल पर 40 वर्ष पूर्व दी थी मामूली दर पर जमीन

उदयपुरOct 10, 2016 / 01:14 pm

madhulika singh

gandhi smriti samiti

gandhi smriti samiti

 राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन दर्शन, आदर्श और उनके मूल्यों के प्रचार-प्रसार के लिए मामूली दर पर गांधी स्मृति मंदिर समिति को आवंटित जमीन को बेच देने का खुलासा हुआ है। उसके कर्ता-धर्ताओं ने इस बेशकीमती जमीन को कमाई के चक्कर में आगे लीज दे दी। टाउन हॉल पर नगर निगम के करीब बिलोचिस्तान कॉलोनी में लगभग 3324 वर्गफीट क्षेत्रफल वाला भूखंड 34-बी 17 अगस्त 1976 को गांधी स्मृति मंदिर समिति को राज्य सरकार ने यह कहते हुए आवंटित की थी कि संस्था बापू के जीवन मूल्यों का आमजन में प्रचार-प्रसार के लिए इस जमीन से गतिविधि चलाएगी। इस गांधी स्मृति मंदिर की स्थापना के विधान प्रस्ताव में हर गांव और नगर तक गांधी के आदर्शों का प्रचार-प्रसार करने की कसम खाई गई थी। जमीनों की बढ़ती कीमतों के चलते वर्ष 1990 में संस्था ने इस जमीन का 1650 वर्गफीट का एक भूखंड बनाकर 1 लाख 65 हजार रुपए में बेच दिया।
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71 वर्ष की लीज अवधि पर दी जमीन

गांधी स्मृति मंदिर ने यह जमीन जेकोबाबाद सिंधी पंचायत को 71 वर्ष की लीज अवधि पर बेची। इसके लिए संस्था ने 26 अपे्रल 1990 को विक्रय विलेख तैयार किया। बाद में संस्था ने 4 दिसम्बर 2010 को जेकोबाबाद सिंधी पंचायत समिति के पक्ष में इस जमीन को लेकर एक अपंजीकृत अनुज्ञा-पत्र भी तैयार करवा दिया। 
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जमीन नहीं दे सकते बिना सरकारी मंजूरी के

सरकार या संबंधित एजेंसी से बिना लिखित मंजूरी के इस तरह से किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए बेहद रियायती दर पर मिली जमीन को आगे नहीं बेचा जा सकता है। इसके लिए सक्षम स्तर पर फाइल चलती है और सरकार निर्णय करती है लेकिन उपरोक्त मामले में वर्षों तक किसी को कोई भनक नहीं लगने दी गई।
गांधी स्मृति मंदिर का मामला यूआईटी के ध्यान में है। यह जमीन बेची नहीं जा सकती है, लेकिन एेसा हुआ है। यूआईटी इस बारे में ठोस कार्रवाई कर रही है। 

-रामनिवास मेहता, सचिव, यूआईटी, उदयपुर
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