अब एक नई शिकायत वरिष्ठ नेताओं से लेकर आलाकमान तक गई कि जो पार्टी की बैठकों में नहीं आते हैं, ऐसे पदाधिकारियों को पार्टी ने ब्लॉक अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दी तो ठीक नहीं होगा। जिला व शहर कांग्रेस के ब्लॉकों से तो ऐसे कुछ लोगों की नामजद शिकायत तक गई है। इनमें यहां तक कहा गया कि दावेदारी करने वाले पदाधिकारी ने संगठन का दफ्तर ही नहीं देखा तो वे क्या करेंगे ?
READ MORE: #AYAD UDAIPUR: नगर निगम निखारेगा आयड़ का स्वरूप, तैयार हो रहा रोड मैप, निकालेंगे 2000 डम्पर कचरा, video जो नाम आए उनके हस्ताक्षर ही नहीं : उदयपुर शहर के ए व बी ब्लॉक तथा उदयपुर ग्रामीण विधानसभा के हिरणमगरी व गिर्वा ब्लॉक की ही बात करें तो उसमें जिनकी दावेदारी सामने आई, उनमें से कुछ ऐसे भी हैं जो संगठन की कई बैठकों में शामिल नहीं हुए हैं। पिछली बैठकों के उपस्थिति रजिस्टर को ही देखें तो उनके हस्ताक्षर नहीं मिलेंगे।
चाबूक चलाते तो ये दिन नहीं आते : संगठन के विवादों में उलझी कांग्रेस के छोटे पदाधिकारियों का कहना है कि आज तक कांग्रेस के राष्ट्रीय, प्रदेश व जिला स्तरीय नेताओं ने संगठन की बैठकों में नहीं आने वालों को चेतावनी का डंडा ही दिखाया, यह मारा नहीं इसलिए आज ऐसे दिन देखने पड़ रहे हैं। एक वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि पार्टी की रीति-नीति से दूर रहने वालों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई बड़े स्तर पर की जाती तो दूसरे सुस्त पदाधिकारी भी सुधर जाते लेकिन ऐसा नहीं हुआ इसलिए आज संगठन में झगड़े बढ़े हैं।
– जून 2015 : प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन प्रभारी गुरुदास कामत ने सख्त चेतावनी दी कि पार्टी में उन पदाधिकारियों को बदल दिया जाएगा जो नियमित बैठकों में नहीं आते हैं। – सितंबर 2015 : नगर निकाय चुनावों में हार की समीक्षा को लेकर
जयपुर में हुई संगठन की बैठक में उदयपुर की बात आई तो संगठन की बैठकों में नहीं आने को लेकर मुद्दा उठा। इस पर प्रदेश पदाधिकारियों ने तीन बार बैठक में नहीं आने वालों को हटाने की बात कही।
– अक्टूबर 2015 : शहर कांग्रेस की बैठक हुई। प्रदेश नेतृत्व की चेतावनियों के बावजूद कई पदाधिकारी नहीं आए, संगठन ने उनकी जानकारी प्रदेश को देने की बात कही है। – नवंबर 2015 : कांग्रेस ने जिले की ब्लॉक बैठकों का कार्यक्रम घोषित करते हुए चेतावनी दी कि अगर बैठकों में कोई पदाधिकारी नहीं आएंगे तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
– जुलाई 2016 : तत्कालीन कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुरुदास कामत के निर्देश संगठन को मिले, उन्होंने कहा कि अब उन कांग्रेस पदाधिकारियों की कुर्सी खतरे में जिन्होंने संगठन में काम कुछ नहीं किया और पद पर बने रहे।
– जनवरी 2017 : कांग्रेस का जन वेदना सम्मेलन होने से पहले बैठकें हुई तो कई पदाधिकारियों की भागीदारी नहीं रही। फिर चेताया कि बैठक में नहीं आए तो हटा दिए जाएंगे। – जुलाई 2017 : कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले प्रत्याशियों के नामों को लेकर संगठन के अंदर कसरत शुरू की, उसमें भी यह बात रखी गई कि संगठन की बैठकों में नहीं आने वालों का हिसाब-किताब भी देखा जाएगा।