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उदयपुर

भारत का संविधान एक दस्तावेज नहीं, बल्कि स्वयं एक संस्कृति

– राज्यपाल मिश्र ने किया प्रवेश द्वार, संविधान पार्क व नवनिर्मित भवनों का लोकार्पण
– संविधान दिवस पर सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय में हुए आयोजन

उदयपुरNov 27, 2021 / 09:00 am

bhuvanesh pandya

भारत का संविधान एक दस्तावेज नहीं, बल्कि स्वयं एक संस्कृति

भारत का संविधान एक दस्तावेज नहीं, बल्कि स्वयं एक संस्कृति

उदयपुर. भारत का संविधान एक दस्तावेज नहीं, बल्कि स्वयं एक संस्कृति है। यह हमारी उदात्त भारतीय परंपराओं को व्याख्यायित करती है। हमारा संविधान अधिकारों एवं कत्र्तव्यों के संतुलन वाला पवित्र दस्तावेज है। संविधान में लोक कल्याण की बात कही गई है, क्योंकि इसी में सबका हित है।
यह बात राज्यपाल कलराज मिश्र ने कही। वे यहां उदयपुर दौरे के दूसरे दिन संविधान दिवस पर शुक्रवार को मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि महाभारत, रामायण एवं पौराणिक आख्यानों को रेखांकित करते हुए प्रेरणा के लिए चित्र अंकित किए गए है। इससे पहले मिश्र ने विश्वविद्यालय में नव निर्मित संविधान पार्क, मुख्य द्वार एवं विभिन्न भवनों के लोकार्पण के बाद आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि संविधान पार्क बनाने वाला सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय देश का पहला विवि बन गया है।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र हम सब की आत्मा में बसा है और इसकी रक्षा करना हम सबका दायित्व है। उन्होंने कहा कि भारत एक विविधतापूर्ण परिवेश एवं विविध संस्कृतियों का देश है, जिसमें सबके अधिकारों को सुरक्षित किया गया है। यही संसदीय लोकतंत्र की खूबसूरती है। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में जनता की भागीदारी भी सक्रिय रूप से होनी चाहिए। जनप्रतिनिधि काम कर रहे हैं या नहीं, इस पर जनता को पैनी नजर रखनी चाहिए। जोशी ने राज्यपाल से पुन: आग्रह किया कि राजसमंद जिले के आदिवासियों को टीएसपी क्षेत्र का लाभ दें ताकि उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जा सके एवं उनके लिए रोजगार के अवसरों का सृजन किया जा सके।
सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने कहा कि ऐसे में विश्वविद्यालय प्रगति की ओर निरंतर अग्रसर होगा। उन्होंने निम्बाहेड़ा में इस्ट ब्लॉक कैंपस के जल्द उद्घाटन की उम्मीद जताई। सांसद अर्जुन मीणा ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. जोशी की ओर से राजसमंद जिले के आदिवासियों को टीएसपी में शामिल करने की रखी गई मांग का समर्थन किया। कार्यक्रम में मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के अब तक के इतिहास पर प्रकाशित महत्वपूर्ण ग्रंथ का राज्यपाल ने लोकार्पण किया।

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