यह निष्कर्ष सामने आया सुखाडिय़ा विवि के शोधार्थी में डॉ. बालूदान बारहठ के अनुच्छेद 370 के प्रभाव व परिणाम विषयक शोध में। उनके शोध में सामने आया कि अनुच्छेद 370 ने घाटी में अलगाववाद को अप्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक लाभ पहुंचाने का ही काम किया है। इस अनुच्छेद के तहत राज्य का अलग परिसीमन एवं लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम है। इसके चलते कश्मीर घाटी से 42 व जम्मू से 32 विधायक है। ऐसे में सम्पूर्ण राज्य की राजनीतिक व प्रशासनिक बागडोर कश्मीर घाटी के इन पांच जिलों के लोगों के हाथों में रहती है।
राज्य का घटा अपना राजस्व
डॉ. बारहठ के अनुसार वर्ष 1951 तक राज्य का 90 प्रतिशत तक खर्च वह स्वयं की आय से वहन करता था। लोगों के पास पर्याप्त रोजगार था लेकिन अनुच्छेद 370 के बाद 80 प्रतिशत तक खच वहन केन्द्र सरकार को वहन करना पड़ता है।
नियम के विरूद्ध जुड़ा अनुच्छेद 35 ए डॉ. बारहठ ने बताया कि अनुच्छेद 370 लागू होने के बाद राष्ट्रपति ने मई 1954 में आदेश जारी कर अनुच्छेद 35 के बाद 35ए जोड़ा। यह करने का अधिकार अनुच्छेद 368 के तहत सिर्फ संसद को था। अनुच्छेद 35ए जम्मू-कश्मीर विधानसभा को स्थायी निवासी की परिभाषा निश्चित करने का अधिकार देता है जिसके आधार पर विधानसभा ने 1954 में स्थायी नागरिकता का कानून बनाया। इसके अनुसार सन् 1944 से पूर्व जो राज्य के निवासी हैं, उन्हें ही स्थाई नागरिकता का अधिकार होगा।
करीब 230 अनुच्छेद नहीं होते लागू
डॉ. बारहठ ने बताया कि अनुच्छेद 370 के चलते कुल 395 में से 130 अनुच्छेद पूर्ण रूप से लागू नहीं होते है। सौ अन्य अनुच्छेदों में परिवर्तन कर इसे लागू किया गया है। 73वां व 74वां संविधान संशोधन पूरी तरह लागू नहीं होता है। नीति निर्देशक तत्व व मूल कर्तव्य लागू नहीं होते। सूचना का अधिकार लागू नहीं होते।