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विदेशी हो या देसी तमंचा पटाखा छूटना चाहिए…एमपी, यूपी से लगातार आ रहे हथियार

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उदयपुरOct 05, 2018 / 08:27 pm

Krishna

pistol

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मो. इलियास/उदयपुर . विदेशी हो या देसी, दाम की परवाह नहीं बस ‘घोड़ा’ दबाते ही पटाखा छूटना चाहिए। बेल्ट पर लगे तो लगना चाहिए है कि कोई कोई बात है। कुछ इसी तरह से की मांग करते हुए अपराधी व युवाओं के बीच तमंचे का शगल ऐसा बढ़ गया कि शहर में पकड़े गए हर तीसरे अपराधी के पास यह मिल रहा है। कोई स्टेट्स सिम्बल तो कोई लोगों को डराने-धमकाने के लिए यह रखता है। गत तीन वर्ष में उदयपुर में 125 से ज्यादा हथियार पकड़े जिनमें देसी रिवॉल्वर, पिस्टल व कट्टा शामिल हैं। इन्हें कभी कूबड़ा, तो कभी बिहारी या जॉन लेकर आया। पूछताछ में अधिकतर तमंचे मध्यप्रदेश के खरगोन, भिंड-मुरैना, नीमच व मंदसौर से आने की पुष्टि हुई। कुछ अवैध हथियार उत्तरप्रदेश व चंडीगढ़ से भी आए। हथियार कहां से आए यह तो पता है, लेकिन सप्लायर कौन है? इस बारे में पुलिस मौन है।अवैध हथियारों की धरपकड़ में पुलिस के समक्ष कुछ तमंचे मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश से मजदूरी के लिए आने वाले श्रमिकों द्वारा बेचने की जानकारी सामने आई तो कुछ अपराधी खुद राजस्थान बॉर्डर पारकर इन्हें खरीदकर आए हैं। पुलिस ने हथियार तो बरामद किए लेकिन मजदूरी के बहाने यहां आने वाले श्रमिकों की पहचान नहीं कर पाई। बॉर्डर पार से हथियार लाने वाले बड़े अपराधी तो अभी पुलिस पकड़ से बाहर है। बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश के कुछ इलाके तो ऐसे हैं, जहां छोटे-छोटे गांव में ये हथियार बनाए जाते हैं।

चर्चित रहे हैं हथियार के यह सप्लायर

– उत्तरप्रदेश निवासी मलखानसिंह उर्फ कूबड़ा- यूपी से कई हथियार लाया, जमानत पर छूटने के बाद से फरार
– विजय पासवान उर्फ बिहारी – मूलत: बिहार का लेकिन उत्तरप्रदेश से हथियार लाकर यहां बेचे
– गमेरसिंह उर्फ जॉन- मूलत: सलूम्बर के इसरवास का जो एमपी में खरगोन में सप्लायर होने पर यहां हथियार लाया
– विष्णु सेन- मूलत: भरतपुर का पूर्व उसने कई हथियार सप्लाई किए

– अनिल कुमार – हाल में पुलिस ने उसे गजेन्द्र छापरवाल की हत्या के आरोपियों को हथियार सप्लाई में पकड़ा।
ये सभी अपराधी हैं जो उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश के होने के साथ ही हथियार सप्लायर से सीधे जुड़े हुए हैं। सभी ने बॉर्डर पार तीन से चार हजार में हथियार लाकर यहां 10 से 15 हजार में बेचे। आजम, इमरान, मुजफ्फर गोगा, इकबाल वायपर व अन्य ऐसे अपराधी हैं जिनके सीधे सम्पर्क हथियार सप्लायर से है।
– हाल ही आजम ने शुभम उर्फ आदित्य को बड़ौदा में फिरौती वसूलने के लिए हथियार दिया। शुभम ने एक के बाद भू-व्यवसायियों पर फायर किया।
– मुजफ्फर उर्फ गोगा ने हाल में हथियार से वाना में कालू पिंजारी की हत्या की, धरपकड़ के दौरान पुलिस पर फायर किया।

देसी तमन्चे पर विदेशी नाम

मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश में देसी कट्टा दो से चार हजार व पिस्टल बीस से पच्चीस हजार रुपए के बीच बिकता है। इन हथियारों को बनावट व रेंज के आधार खरीदा जाता है। दक्ष कारीगर इन्हें इतनी बारीकी से गढ़ते है कि यह ‘घोड़े’ विदेशी हथियार को भी मात दे देते हैं। पुलिस की ओर से पकड़े गए कुछ देसी पिस्टल पर मेड इन जापान लिखा मिला, लेकिन वह मंदसौर में निर्मित की गई थी।
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3 साल में हथियार पकड़े गए – करीब 125
– देसी कट्टा – मूल कीमत 2 से 3 हजार बेचान किए 10 से 15 हजार
– देसी रिवॉल्वर – मूल कीमत 3 से 5 हजार बेचान किए 20 से 25 हजार
– देसी पिस्टल – मूल कीमत 5 से 7 हजार बेचान किए 25 से 30 हजार

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