READ MORE : उदयपुर के महाराणा भूपाल हॉस्पिटल का मामला…खून के सौदागर गायब, हत्थे चढ़े दो अन्य कुछ ऐसे ही तर्क देते हुए उसके अधिवक्ता ने न्यायालय में जमानत याचिका पेश की। अतिरिक्त सेशन न्यायाधीश (महिला उत्पीडऩ प्रकरण) के पीठासीन अधिकारी डॉ.दुष्यंत दत्त ने अधिवक्ता व उसके सहयोगी की याचिकाओं को जघन्य अपराध के आक्षेप के आधार पर खारिज कर दिया।
लखारा चौक निवासी अधिवक्ता संगीता पत्नी अविनाश अरोड़ा व सहयोगी जोधपुर हाल चाणक्यपुरी अहमदाबाद रतनचंद पुत्र सुगीनचंद भंडारी को भूपालपुरा थाना पुलिस ने गत दिनों बार अध्यक्ष रामकृपा शर्मा की पुत्री के अपहरण व चेन लूट के मामले में गिरफ्तार किया था। दोनों की ओर से अलग-अलग जमानत याचिका पेश की गई जिसे न्यायालय ने खारिज कर दी। गौरतलब है कि बार अध्यक्ष ने संगीता अरोड़ा पर बार की कार्यकारिणी में शामिल नहीं करने से उक्त कृत्य करने के गंभीर आरोप लगाए थे।
कहा- कोई अपराध नहीं किया
संगीता की ओर से अधिवक्ता रागिनी शर्मा ने जमानत के दौरान तर्क दिया कि वह निर्दोष है तथा न्यायिक अभिरक्षा में है। उसने ऐसा कोई अपराध नहीं किया। पुलिस ने जान-बूझकर राजनीतिक दबाव के चलते उसके विरुद्ध मामला दर्ज किया। प्रार्थिया वर्तमान में बार एसोसिशन में चल रही राजनीति की शिकार हुई है। वह गत 17 वर्षों से उदयपुर बार में वकालत कर रही है।
संगीता की ओर से अधिवक्ता रागिनी शर्मा ने जमानत के दौरान तर्क दिया कि वह निर्दोष है तथा न्यायिक अभिरक्षा में है। उसने ऐसा कोई अपराध नहीं किया। पुलिस ने जान-बूझकर राजनीतिक दबाव के चलते उसके विरुद्ध मामला दर्ज किया। प्रार्थिया वर्तमान में बार एसोसिशन में चल रही राजनीति की शिकार हुई है। वह गत 17 वर्षों से उदयपुर बार में वकालत कर रही है।
अनुसंधान में पत्रावली पर ऐसा कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है जिससे प्रार्थिया द्वारा तथाकथित घटना कारित किया जाना प्रकट होता हो और नहीं ऐसी कोई फिरौती साक्ष्य अभिलेख पर आई है। अभियुक्ता की दो पुत्रियां होकर विद्यालय में अध्ययनरत है, जिनकी सार-संभाल करने वाला कोई नहीं है। गृहस्थी का समस्त भार अभियुक्ता पर है, ऐसी स्थिति में जेल में रहने से अभियुक्तों की गृहस्थी बर्बाद हो जाएगी। न्यायालय ने सुनवाई के बाद लिखा कि अभियुक्ता के विरुद्ध लूट व फिरौती के लिए अपहरण के गंभीर प्रकृति के अपराध के आक्षेप पत्रावली पर मौजूद है।
उसकी सूचना के आधार पर सोने की चेन बरामद होना बताया है। वर्तमान में प्रकरण अनुसंधान में है, ऐसी स्थिति में जमानत पर रिहा करना उचित नहीं है। इसी तरह रतनचंद की ओर से अधिवक्ता ने तर्क दिया कि अभियुक्त वृद्ध होकर इलाजरत है, सम्मानित परिवार का सदस्य है। लम्बे समय तक जेल में रहने से उसकी प्रतिष्ठा समाप्त हो जाएगी।