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उदयपुर

सावनी के सुरीले सुरों के झरने और कथक की थिरकन ने साकार किया मल्हार

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उदयपुरSep 10, 2018 / 05:11 pm

Krishna

 Shilpgram Udaipur

सावनी के सुरीले सुरों के झरने और कथक की थिरकन ने साकार किया मल्हार

राकेश शर्मा राजदीप/उदयपुर. पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित शास्त्रीय संगीत और नृत्य समारोह ‘मल्हार’ के दूसरे दिन पुणे की गायिका सावनी शेंडे साठ्ये ने अपने मधुर गायन से सुरों की वर्षा की। वहीं, दिल्ली की डॉ. कविता ठाकुर के नेतृत्व में प्रस्तुत कथक के मूल तत्वों के साथ समारोह का वैविध्य निखर उठा।शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में आयोजित दो दिवसीय मल्हार का समापन अवसर पर एकत्र हुए शहर के कला रसिकों ने संगीत और नृत्य विधा का भरपूर आनन्द उठाया। इस दौरान ख्यात कथक नृत्यांगना व गुरु डॉ.कविता ठाकुर व उनकी सह नृत्यांगनाओं ने कथक के क्लासिक पक्ष को बखूबी दर्शाते हुए सुंदर अंदाज में प्रस्तुतियां की।कार्यक्रम की शुरूआत सांई भजन से हुई। इसके बाद मल्हार पर आधारित दो बंदिशों में पहले सुर मल्हार और बाद में मेघ मल्हार के साथ वर्षा ऋतु का वर्णन दिलकश बना। इधर, नृत्य में लयकारी, पादों संचालन और भावों के साथ चक्करदार नृत्यों ने दर्शकों में रोमांच भर दिया। कविता ठाकुर के साथ साक्षी तंवर, मखूक भरतरिया, गीता भट्ट ने अपना नृत्य कौशल दर्शाया। संगतकारों में तबले पर सूरज निरवड़, गायन पर सुहावे हुसैन, सितार पर यार मोहम्मद, पखावज पर सलमान खान सरनाई पर गुलाम मोहम्मद ने संगत की।
इससे पूर्व संगीत नाटक अकादमी के उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार से नामित गायिका सावनी ने अपने कंठ माधुर्य से दर्पण सभागार में सुरों का झरना-सा बिखेर दिया। अपने गायन की शुरुआत राग मियां मल्हार पर आधारित तीन बंदशों से की। पहले ‘सावन की रुत आई सजनिया… सुनाया। इसके बाद विलम्बित एक ताल में निबद्ध ख्याल ‘सहेली सांझ भई सावन की… में अपने गायन से दाद बटोरी। वहीं, मध्य लय व तीन ताल में निबद्ध रचना ‘घनन घनन घन गरजत आये… बंदिश में सावनी ने सुरों के उतार चढ़ाव व लयकारी के साथ गायन का अनूठा सामंजस्य स्थापित किया।
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इसके उपरान्त किराना घराने की सावनी ने मीरा का भजन ‘सुनो सुनो दयाले म्हारी अरजी… सुना कर मेवाड़ की भक्ति को नमन किया। इनके साथ हारमोनियम पर राहुल गोले, तबले पर अरुण गवई, तानपुरा पर डिम्पी सुहालका व निधि शर्मा ने संगत की।
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