इससे पूर्व संगीत नाटक अकादमी के उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार से नामित गायिका सावनी ने अपने कंठ माधुर्य से दर्पण सभागार में सुरों का झरना-सा बिखेर दिया। अपने गायन की शुरुआत राग मियां मल्हार पर आधारित तीन बंदशों से की। पहले ‘सावन की रुत आई सजनिया… सुनाया। इसके बाद विलम्बित एक ताल में निबद्ध ख्याल ‘सहेली सांझ भई सावन की… में अपने गायन से दाद बटोरी। वहीं, मध्य लय व तीन ताल में निबद्ध रचना ‘घनन घनन घन गरजत आये… बंदिश में सावनी ने सुरों के उतार चढ़ाव व लयकारी के साथ गायन का अनूठा सामंजस्य स्थापित किया।
READ MORE : Sunday यानी फुल फन डे…F S पर युथ ने किया जमकर एन्जॉय…देखें तस्वीरें इसके उपरान्त किराना घराने की सावनी ने मीरा का भजन ‘सुनो सुनो दयाले म्हारी अरजी… सुना कर मेवाड़ की भक्ति को नमन किया। इनके साथ हारमोनियम पर राहुल गोले, तबले पर अरुण गवई, तानपुरा पर डिम्पी सुहालका व निधि शर्मा ने संगत की।