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उदयपुर के आदिवासियों की पसंद ‘खाट्या’.. ये जानलेेेेवा है लेक‍िन उसकी परवाह नहीं.. स‍िर्फ पुरुष ही नहीं मह‍िला व बच्‍चे भी हैं इसके आदी

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उदयपुरJul 30, 2018 / 04:19 pm

madhulika singh

mahua liquor seized

उदयपुर के आदिवासियों की पसंद ‘खाट्या’.. ये जानलेेेेवा है लेक‍िन उसकी परवाह नहीं.. स‍िर्फ पुरुष ही नहीं मह‍िला व बच्‍चे भी हैं इसके आदी

मो. इल‍ियास /उदयपुर. शहर के समीपवर्ती देबारी के भोपाली फला व गुगला मगरा पर अवैध हथकढ़ शराब बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए प्रतापनगर थाना पुलिस ने 28 ड्रमों में भरा 14 सौ लीटर अवैध महुआ वॉश व भट्टियों को नष्ट किया। पुलिस के मौके पर पहुंचने से पहले आरोपी वहां से भाग छूटे।
एसपी कुंवर राष्ट्रदीप ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर सीआई डॉ.हनवंतसिंह राजपुरोहित, हेड कांस्टेबल गणपतसिंह मय टीम ने देबारी के भोपाली फला व गुगला मगरा पर जगह दबिश दी। पगडंडी व पहाडिय़ों के बीच छितराए रास्तों पर पुलिस के पहुंचने से पहले आरोपी भाग छूटे। पुलिस को मौके पर 50 लीटर के 28 ड्रम में 14 सौ लीटर अवैध महुआ व वाश भरा मिला। पुलिस ने हाथोंहाथ वॉश व शराब बनाने के लिए जला रखी भट्टियों को नष्ट कर उपकरण जब्त किए। गौरतलब है कि पुलिस ने फरवरी माह में भी अवैध भारी मात्रा में हथकढ़ी शराब के ठिकानों पर दबिश देकर वॉश को नष्ट किया था।
नदी-नाले में बनी देसी
आदिवासी लोग महुआ गलाने के बाद उबाल कर वाष्पीकरण क्रिया से भाप पानी से शराब बनाते हैं। तीन से चार घंटे लगते हैं। धरपकड़ के चलते ये कार्य खुले जंगलों व नदी-नालों के समीप होता है। निगरानी के लिए वे पहाड़ों पर खड़े होकर टोह लेते रहते हैं। अचानक किसी भी हलचल से सजग हो जाते हैं।
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आदिवासियों की पसंद
न अंग्रेजी, न देसी उन्हें तो चाहिए ‘खाट्या’। जिसे वह खुद बनाते हैंं और पीते हैं। जरूरत पडऩे पर वे इसे चोरी छिपे बेचते भी हैं। यह कितनी घातक व जानलेवा है, उन्हें इसकी परवाह नहीं। उन्हें तो बस हलक से नीचे उतरते ही नशा आना चाहिए। उदयपुर संभाग के आदिवासी अंचल में ‘खाट्या’ यानी देसी शराब का निर्माण बहुतायत में होता है, इसे यहां का आदिवासी बड़े चाव से पीता है। जश्न व बड़े समारोह में इसकी ज्यादा पूछ होती है। इसे पीने से अब तक कई लोग जान गंवा चुके हैं। आदिवासी अंचल में यह शराब घर-घर बनने के कारण कई इलाकों में महिला व बच्चे भी इसके आदी हो चुके हैं। आदिवासी इसे थकान दूर करने का माध्यम बताते हैं। दिन भर मजदूरी करने के बाद वे रात को इसका सेवन करते हैं।

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