1973 की बाढ़ के बाद गुमानियावाला नाले की जल निकास क्षमता 5000 क्यूसेक से बढ़ाकर 9000 क्यूसेक कर दी गई लेकिन अब उसमें आसपास की कॉलोनियों की नालियां एवं नाले छोड़े रखे हैं। ऐसे में 5000 क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया तो इन नालियों का पानी उल्टा बहकर घरों और कॉलोनियों में पहुंचेगा जिससे पंचवटी, न्यू फतहपुरा और आसपास के क्षेत्र प्रभावित होंगे।
गोवर्धनसागर का ओवरफ्लो होने वाली पानी फूटा तालाब से होते हुए सतोरिया तालाब में पहुंचता है। 15 से 20 अगस्त 2006 तक अतिवृष्टि से सतोरिया नाले के किनारों पर बसी बस्तियों में पानी भर गया था। इस नाले के बहाव क्षेत्र में कई कॉलोनियां बस गई हैं। आबादी विस्तार के चलते कई जगहों पर नाले का स्वरूप काफी छोटा हो गया है। ऐसे में तेज बारिश आने की स्थिति में आवासीय और वाणिज्यिक परिसरों में पानी घुसने की संभावना है।
शहर की झीलों के कैचमेंट एरिये में 23 अगस्त 1973 को करीब 10 इंच बारिश हुई थी जिससे नदी-नालों में उफान पर होने से झीलें ओवरफ्लो हो गई। इससे बेदला गांव के आसपास और आयड़ नदी के दोनों किनारों पर स्थित आबादी क्षेत्र में पानी घुस गया था। तब इन क्षेत्रों में आबादी काफी कम थी जिससे नुकसान अधिक नहीं हुआ, लेकिन अब बेदला रोड पुल से ही आवासीय कॉलोनियां बस गई हैं। ऐसे में फिर बाढ़ आई तो हालात ज्यादा भयावह होंगे।