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उदयपुर

भगवान न करे ऐसा हो वरना डूब जाएगा आधा उदयपुर शहर

मौसम विभाग से लगातार मिल रही भारी बरसात की चेतावनी के बीच झीलों की नगरी में आयड़ नदी के किनारे वैध और अवैध तौर पर बसी कॉलोनियों में आई बाढ़ की पुरानी तस्वीरें लोगों को भयभीत कर रही है। ये तस्वीरें अब भी इनके जहन में है। मानसून पूर्व बनाई गई आपदा प्रबंधन disaster management की आकस्मिक योजना में वर्ष 1973 और 2006 में आयड़ नदी में आई बाढ़ की तस्वीर फिर दोहराने का अंदेशा जताया गया है। भगवान न करे कि उदयपुर को ऐसे दिन फिर देखने पड़े। ऐसा हुआ तो प्रशासन की आपदा नियंत्रण की तैयारियां धरी रह जाएंगी।

उदयपुरJul 08, 2019 / 12:56 pm

Bhagwati Teli

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उदयपुर. मौसम विभाग से लगातार मिल रही भारी बरसात की चेतावनी के बीच झीलों की नगरी में आयड़ नदी के किनारे वैध और अवैध तौर पर बसी कॉलोनियों में आई बाढ़ की पुरानी तस्वीरें लोगों को भयभीत कर रही है। ये तस्वीरें अब भी इनके जहन में है। मानसून पूर्व बनाई गई आपदा प्रबंधन की आकस्मिक योजना में वर्ष 1973 और 2006 में आयड़ नदी में आई बाढ़ की तस्वीर फिर दोहराने का अंदेशा जताया गया है। भगवान न करे कि उदयपुर को ऐसे दिन फिर देखने पड़े। ऐसा हुआ तो प्रशासन की आपदा नियंत्रण की तैयारियां धरी रह जाएंगी।
जानकारों ने जिला प्रशासन को चेताते हुए स्पष्ट किया कि आयड़ नदी इस बार मानसून monsoon में उफान पर आ गई तो शहर के पंचरत्न कॉम्पलेक्स, अहिंसा पुरी, रेलवे ट्रेनिंग स्कूल व कॉलोनी, पंचवटी, नवरत्न कॉम्पलेक्स, फतहपुरा, अलीपुरा, भूपालपुरा, अशोक नगर, पुरानी रेलवे कॉलोनी, न्यू फतहपुरा और सरदारपुरा में ऐसा मंजर होगा, जिसकी हमने कल्पना भी नहीं की थी। इन कॉलोनियां न केवल रईसों के आशियाने हैं तो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के रोजगार स्थल हैं।
तो घरों में घुसेगा गंदा पानी
1973 की बाढ़ के बाद गुमानियावाला नाले की जल निकास क्षमता 5000 क्यूसेक से बढ़ाकर 9000 क्यूसेक कर दी गई लेकिन अब उसमें आसपास की कॉलोनियों की नालियां एवं नाले छोड़े रखे हैं। ऐसे में 5000 क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया तो इन नालियों का पानी उल्टा बहकर घरों और कॉलोनियों में पहुंचेगा जिससे पंचवटी, न्यू फतहपुरा और आसपास के क्षेत्र प्रभावित होंगे।
सतोरिया नाला क्षेत्र में भी परेशानी
गोवर्धनसागर का ओवरफ्लो होने वाली पानी फूटा तालाब से होते हुए सतोरिया तालाब में पहुंचता है। 15 से 20 अगस्त 2006 तक अतिवृष्टि से सतोरिया नाले के किनारों पर बसी बस्तियों में पानी भर गया था। इस नाले के बहाव क्षेत्र में कई कॉलोनियां बस गई हैं। आबादी विस्तार के चलते कई जगहों पर नाले का स्वरूप काफी छोटा हो गया है। ऐसे में तेज बारिश आने की स्थिति में आवासीय और वाणिज्यिक परिसरों में पानी घुसने की संभावना है।
1973 में हुए थे हालात भयावह
शहर की झीलों के कैचमेंट एरिये में 23 अगस्त 1973 को करीब 10 इंच बारिश हुई थी जिससे नदी-नालों में उफान पर होने से झीलें ओवरफ्लो हो गई। इससे बेदला गांव के आसपास और आयड़ नदी के दोनों किनारों पर स्थित आबादी क्षेत्र में पानी घुस गया था। तब इन क्षेत्रों में आबादी काफी कम थी जिससे नुकसान अधिक नहीं हुआ, लेकिन अब बेदला रोड पुल से ही आवासीय कॉलोनियां बस गई हैं। ऐसे में फिर बाढ़ आई तो हालात ज्यादा भयावह होंगे।

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