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उदयपुर

PATRIKA STING : ड्यूटी समय में डॉक्‍टर साहब घर पर देख रहे थे मरीज , पत्रिका पहुंचा घर तो उड़़ गए होश…देखें वीडियो

आरएनटी मेडिकल कॉलेज के सीनियर प्रोफेसर का मामला…

उदयपुरOct 31, 2017 / 02:34 pm

Sushil Kumar Singh

doctor sees patient at home


उदयपुर . संभाग के एक मात्र रवींद्रनाथ टैगोर राजकीय मेडिकल कॉलेज के अधीन सेवाएं दे रहे कुछ वरिष्ठ चिकित्सकों की ओर से ड्यूटी समय में घर पर मरीजों को देखने का सिलसिला नहीं थम रहा। ताजा मामला कॉलेज के शिशु रोग विभाग में कार्यरत सीनियर प्रोफेसर डॉ. विवेक अरोड़ा का है। ड्यूटी ऑवर्स में कॉलेज और अस्पताल छोडकऱ सरकारी आवास पर मरीजों को चिकित्सा परामर्श देने वाले डॉ. अरोड़ा पर जनजाति बाहुल्य बांसवाड़ा जिले के एक मजदूर ने नवजात को दिखाने के नाम पर तय सरकारी शुल्क का दायरा लांघकर अधिक राशि वसूलने का आरोप लगाया है। मरीज के परिजन को विशेष मेडिकल स्टोर से ही दवा खरीदने के लिए दबाव बनाने का भी आरोप है।
डिस्चार्ज हुए नवजात के मजदूर पिता की ओर से मिली शिकायत के बाद राजस्थान पत्रिका ने भी मामले की पड़ताल की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। दोपहर 3 बजे तक अनिवार्य ड्यूटी समय से पहले डॉ. अरोड़ा एमबी हॉस्पिटल परिसर में आवंटित सरकारी आवास पर मरीज देख रहे थे। गरीब मजदूर और नवजात का पिता डॉक्टरी पर्ची लेकर विशेष मेडिकल स्टोर से दवाइयां खरीद कर लाया। उसने दवा खरीदने के लिए उसके साथी से एक हजार रुपए उधार लिए। मेडिकल स्टोर संचालक ने दवा के बदले मजदूर से 15 सौ रुपए मांगे। बाद में 11 सौ रुपए देकर कम दवाइयां ली। आलम यह था कि मजदूर के पास घर पहुंचने के लिए एक रुपया जेब में नहीं बचा। गौरतलब है कि पूर्व में भी चिकित्सक शिक्षकों के ड्यूटी ऑवर्स में सरकारी आवास में मरीज देखने के मामले सामने आ चुके हैं।
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हुआ यूं कि उदयपुर में मजदूरी कर गुजर बसर करने वाला जगपुरा गांव, घाटोल जिला बांसवाड़ा निवासी बाबरिया की पत्नी का 6 दिन पहले प्रसव हुआ। नवजात की नाजुक हालत को देखते हुए चिकित्सकीय परामर्श के तहत उसे बाल चिकित्सा इकाई के वार्ड 12 में भर्ती किया गया। सोमवार को नवजात को डिसचार्ज किया जाना था। तभी दोपहर 1 बजे के करीब मजदूर चिकित्सक के सरकारी आवास पर पहुंचा। वहां बकौल बाबरिया डॉ. अरोड़ा को उसे परामर्श के नाम पर 500 रुपए फीस दी। इसके बाद चिकित्सक ने बाजार की ब्रांडेड दवाइयां लिखी। इतना ही नहीं, चिकित्सक ने ही मरीज को संबंधित मेडिकल स्टोर से दवाइयां खरीदने के निर्देश दिए। यह दवाइयां उस मरीज को 1100 रुपए में दी गई। इधर, बड़ी क्षेत्र निवासी हुकुमचंद ने बताया कि बाबरिया ने दो दिन पहले उसे फोन कर उसके पास रुपए नहीं होने की बात कहकर एक हजार रुपए उधार मांगें थे।
अब ध्यान रखूंगा
तबीयत खराब थी इसलिए जल्दी घर आ गया था। घर पर मरीजों की फीस मैं दो सौ रुपए ही लेता हूं। मरीज हित में बाजार की दवाइयां लिखी थी। ताकि नवजात को जल्दी राहत मिले। जाने-अनजाने कुछ गलत हो गया होगा। अब पूरा ध्यान रखूंगा।
डॉ. विवेक अरोड़ा, सीनियर प्रोफेसर, आरएनटी मेडिकल कॉलेज

नहीं दी सूचना
सोमवार को डॉ. अरोडा का ड्यूटी ऑवर्स हमेशा की तरह दोपहर 3 बजे तक ही था। वह जल्दी घर चले गए या उनकी तबीयत खराब थी। इसकी उन्होंने मौखिक या लिखित सूचना नहीं दी। तय राशि से अधिक परामर्श शुल्क लेने की शिकायत मुझे नहीं मिली। अगर, ऐसा है तो सक्षम स्तर पर कार्रवाई कर जांच कराई जाएगी।
डॉ. लाखन पोसवाल, कार्यवाहक विभागाध्यक्ष, बाल चिकित्सा विभाग

होगी उचित कार्रवाई
ड्यूटी ऑवर्स में घर पर मरीज देखना, निर्धारित राशि से अधिक फीस वसूलने संबंधी जांच करवाई जाएगी। दोषी पाए जाने पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. विनय जोशी, अधीक्षक, एमबी हॉस्पिटल

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