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उदयपुर

गोड़से को महापुरुष कहने वाले नहीं चाहते बच्चे सांगा, पन्ना व नेहरू को पढ़े, जानें पूरी कहानी

पाठ्यपुस्तकों में विचारधारा से कटते-छंटते हैं इतिहास के योद्धा

उदयपुरJun 08, 2019 / 06:41 pm

Bhagwati Teli

उदयपुर . पाठ्य पुस्तकों में मेवाड़ से जुड़े राणा सांगा और पन्नाधाय से जुड़े इतिहास को नहीं पढ़ाने को लेकर खासा रोष नजर आ रहा है। कांग्रेस नेताओं ने जहां भाजपा को पाठ्य पुस्तकों में समय-समय पर विचारधारा को थोपते हुए इतिहास से छेड़छाड़ करने का जिम्मेदार ठहराया है, वहीं इतिहासकारों का मानना है कि स्कूली पाठ्यक्रम राजनीति का शिकार होगा तो भावी पीढ़ी हमारे महापुरुषों को लेकर अनभिज्ञ रह जाएगी।
राज्य सरकार को चाहिए कि वह आरएसआईईआरटी को स्पष्ट निर्देश देते हुए पाठ्यपुस्तक लेखन से जुड़ी कमेटी को पुनर्गठन करे और राणा सांगा, पन्नाधाय, शिवाजी, चंद्रशेखर आजाद, चाचा नेहरू समेत देश के महापुरुषों और सभ्यताओं के बारे में सही जानकारी बच्चों तक पहुंचाए। गौरतलब है कि पत्रिका की पड़ताल में सामने आया कि कक्षा 6, 7 और 8वीं की सामाजिक विज्ञान में इन महापुरुषों को जगह नहीं दी गई है। कभी पृथ्वीराज चौहान को तो कभी पन्नाधाय से जुड़े इतिहास को भाजपा सरकार के समय हटा
दिया गया।
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भाजपा की फितरत इतिहास से छेड़छाड़
भाजपा जब भी राज में आती है, वह इतिहास से छेड़छाड़ करती है। बच्चों को महापुरुषों के बारे में बताना, हमारा दायित्व है। प्रदेश में हमारी सरकार है, हम चाहेंगे कि जो कमेटी है,उसे रिव्यू करें और पाठ्य पुस्तकों का निर्माण जानकार इतिहासकारों की मौजूदगी में करवाकर बच्चों तक पहुंचाएं। – डॉ गिरिजा व्यास, पूर्व केबिनेट मंत्री
भाजपा और संघ विचारधारा के लोग गोडसे को महापुरुष कहते हैं, वे सांगा, पन्ना, शिवाजी और नेहरू को क्यों मानेंगे। यह संविधान तक को नहीं मानते हैं। आजादी के संग्राम में इनका कोई योगदान तक नहीं था। बच्चों को महापुरुषों का सही इतिहास पढऩे को मिले, हम पूरा प्रयास करेंगे। – रघुवीर मीणा, सीडब्ल्यूसी सदस्य

इतिहास राजनीति का विषय नहीं है, यह प्रेरणा का विषय है। महापुरुषों के इतिहास को पढक़र चरित्र निर्माण होता है, जो राष्ट्र निर्माण में सहयोगी होता है लेकिन बच्चों को इस उम्र में इतिहास से अछूता रखना ओछी मानसिकता है। मेवाड़ के योद्धाओं को भी जगह नहीं देना, समझ से परे है। सरकार मानक तय करे ताकि कोई भी सरकार इससे छेड़छाड़ नहीं कर पाए। – प्रो चंद्रशेखर शर्मा, इतिहासकार
राजनीतिक विचारधाराओं की दृष्टि से सरकारें सभ्यता के सांस्कृतिक एवं नैतिक आदर्श पात्रों को मुद्दा बनाकर शिक्षा के निष्पक्ष मानवीय स्तर को गिराने का प्रयास कर रही हैं, जो कतई उचित नहीं है। सांगा और पन्ना का बलिदान बच्चे नहीं पढ़ेंगे, तो फिर क्या पढ़ेंगे। – प्रतापसिंह झाला, संयोजक मेवाड़ जन
इतिहास से छेड़छाड़ उचित नहीं है। पाठ्य पुस्तकों में शोधपरक इतिहास को निष्पक्ष रूप से स्थान देना चाहिए। स्वतंत्रता आंदोलन के घटनाक्रम का क्रमबद्ध लेखन ही पढ़ाना चाहिए। स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनियों पर स्वतंत्र पुस्तक का प्रकाशन करना चाहिए, जो तथ्यपरक एवं प्रेरणा दायी हो। – डॉ गिरीश नाथ माथुर, प्रोफेसर इतिहास

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