—– नियमित तौर पर उठ रहा है सोल्यूशन हॉस्पिटल में करीब पांच हजार लीटर हाइपोक्लोराइड सोल्यूशन उपलब्ध है, प्रत्येक सप्ताह करीब पांच सौ लीटर सभी वार्डों के लिए आवंटित किया जा रहा है, इसके बाद भी ज्यादातर वार्डों को संक्रमण रहित नहीं बनाया जा रहा, ऐसे में वहां के कार्मिकों से लेकर मरीजों की जान को भी कोरोना का बड़ा खतरा हो सकता है। प्रत्येक वार्ड के प्रभारी को ये जिम्मेदारी दी गई थी कि उसे इसकी रिपोर्ट अधीक्षक को देनी है, ताकि ये पता रहे कि नियमित सोल्यूशन का साप्ताहिक छिडक़ाव हो रहा है या नहीं।
——- प्राचार्य के आदेश ताक पर प्राचार्य डॉ लाखन पोसवाल ने गत दिनों आदेश जारी किया था, इसमें स्पष्ट था कि नियमित तौर पर ओपीडी से लेकर आईपीडी यानी इंडोर, वार्डों को संक्रमण रहित करने के लिए हाइपोक्लोराइड सोल्यूशन का छिडक़ाव करना होगा। इसकी जिम्मेदारी सभी वार्डों के प्रभारियों को दी गई थी। इसके बाद भी ये कार्य नियिमत नहीं हो रहा है। आदेश जारी करने का मूल कारण ये भी था कि कई चिकित्साकर्मी लगातार कोरोना संक्रमित हो रहे थे, ऐसे में विस्तृत आदेश में इस बिन्दु को भी रखा गया था कि हर वार्ड को संक्रमण रहित किया जाना ही चाहिए।
——– एम बी के संसाधन प्रभारी व उप अधीक्षक डॉ रमेश जोशी का कहना है कि उनके कार्यालय से नियमित सोल्यूशन जारी किया जा रहा है, प्रत्येक सप्ताह करीब 500 लीटर सोल्यूशन सभी वार्डों को दिया जा रहा है। जोशी का कहना है कि अधिकांश को स्प्रे मशीन भी दिए गए हैं। वर्तमान में हॉस्पिटल में 32 विभागों के 86 वार्ड हैं।
—– हमारा फोकस मोपिंग पर …सभी डिस्इफेक्टमेंट का अर्थ स्प्रे से ले रहे हैं, शुरुआत में हमने स्प्रे शुरू करवाया था, लेकिन बाद में इसे जरूरत पर ही करवा रहे हैं जहां ज्यादा मरीज हो। इसका कारण है कि स्प्रे के बाद दीवारों पर और खिड़कियों पर पावडर बना रहता है। इसे लेकर नियमित पोछा लगवाया जा रहा है, जिसमें सोल्यूशन इस्तेमाल कर रहे हैं।
डॉ आरएल सुमन, अधीक्षक एमबी हॉस्पिटल उदयपुर