मामले में आरोपी पूंजा को जिला सेशन न्यायालय ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई दी, लेकिन इस घटनाक्रम के बाद मृतक बाबूलाल के परिवार व ग्रामीणों ने आरोपी पक्ष के मकानों पर चढ़ोतरा कर दिया। जान बचाने के लिए परिवार के 52 सदस्य गांव छोडक़र भाग गए, जिन्हें अब तक आरोपियों ने गांव में घुसने नहीं दिया। मंगलवार को परिवार के एक सदस्य देवीलाल पुत्र अम्बावा पारगी की मौत हो गई। दाह संस्कार के लिए वे शव को गांव में नहीं ले जा रहे हैं।
हत्याकांड के बाद से आरोपी पक्ष के सभी लोग अपने गांव में फिर कदम नहीं रख पाए। पूर्व में समझौते के प्रयास विफल हुए। वार्ता में मृतक पक्ष ने मौताणा स्वरूप पहले 70 लाख रुपए की मांग की। बाद में वे 35 लाख रुपए पर रजामंद हुए। इतनी बढ़ी राशि नहीं चुका पाने से पीडि़त परिवार के सदस्य कोई गांव में नहीं पहुंच पाया। अब वे समझौते के लिए लगातार समय देते हुए प्रति व्यक्ति एक लाख रुपए की मांग कर रहे हैं। परिजनों का आरोप है कि पिछले एक माह से समझौते के प्रयास के चलते देवीलाल काफी तनाव में था। दो दिन पूर्व उसकी हालत बिगडऩे पर उसे चिकित्सालय में भर्ती कराया गया जहां उसने दम तोड़ दिया।
परिजनों ने बताया कि 22 दिसम्बर 2012 को बाबूलाल व पूंजा मरवड़ के जंगल में बांस लाना गए थे। शाम को बाबूलाल घर नहीं लौटा तो उसकी मां ने पूंजा से पूछताछ की। पूंजा ने गुमराह करते हुए बताया कि वह बांस बेचकर अहमदाबाद मजदूरी के लिए चला गया। शक होने पर मां ने फिर पूंजा से पूछा तो उसने दोनों के बीच झगड़ा होना बताते हुए कहा कि बाबूलाल जूनापानी के नाले में पड़ा है। परिजन वहां पहुंचे तो वह बेहोशी हालत में था, उसके सिर पर चोट का निशान था। परिजन उसे उठाकर एमबी चिकित्सालय ले गए, जहां उसने दम तोड़ दिया। गोवद्र्धनविलास थाना पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया। दो वर्ष के बाद जिला न्यायालय से उसे आजीवन कारावास की सजा हो गई लेकिन परिवार आज तक गांव में नहीं
घुस पाया।