उसी जगह व उसी पिंजरे में मादा पैंथर कैद
एक दिन पहले नर पैंथर आया था पिंजरे में : बायो पार्क में दोनों के पिंजरे पास किए तो नजदीक आएरात करीब 12 से 1 बजे के बीच में मादा पैंथर पिंजरे में कैद हुई
उसी जगह व उसी पिंजरे में मादा पैंथर कैद
जावरमाइंस. (उदयपुर.)सिंघटवाड़ा क्षेत्र में पैंथर के पिंजरे में आने के बाद आखिर दूसरे दिन शुक्रवार को मादा पैंथर भी उसी जगह पर उसी पिंजरे में कैद हो गई। मादा पैंथर को जब बायोलोजिकल पार्क में जैसे ही दोनों के पिंजरे पास किए तो नजदीक आए। केयरटेकर और स्टाफ ने देखा तो लगा कि दोनों भले ही अलग-अलग पिंजरे में थे लेकिन वे एक-दूसरे को पहचान गए थे।
गुरुवार को मामदरा मेंं नर पैंथर पकड़े जाने वाले स्थान पर उसी दिन वहीं पिंजरा फिर से लगाया गया और शुक्रवार सुबह जब टीमें उस पिंजरे को देखने गई तो उसमें मादा पैंथर थी। देखते ही सूचना आला अधिकारियों को दी। बताते हंै कि रात करीब १२ से 1 बजे के बीच में मादा पैंथर पिंजरे में कैद हुई। सुबह पिंजरे में पैंथर को देखने के लिए आसपास के ग्रामीण जमा हो गए। मौके पर पुलिस भी पहुंची और वहां थानाधिकारी बाबूलाल मुरारीया ने भीड़ को वहां से दूर किया। क्षेत्रीय वन अधिकारी सुरेन्द्र ङ्क्षसह शेखावत ने बताया कि नेवातलाई, केवड़ा खूर्द, सिंघटवाड़ा में पैंथर के नियमित मूवमेंट और पूर्व में हुए शिकार से ग्रामीण भयभीत थे।
बायलोजिकल पार्क पहुंचाया
वैसे वन विभाग की टीमों को पूर्व में ही सिंघटवाड़ा सरपंच गौतमलाल मीणा व ग्रामीणों ने बताया था कि इस क्षेत्र में पैंथर का जोड़ा है। जब भी पैंथर ने इंसानों पर हमला बोला तब उसके साथ ही दूसरा पैंथर भी साथ देखा गया। वन विभाग की टीम करीब आठ साल की मादा पैंथर को यहां सज्जनगढ़ बायोलोजिकल पार्क लेकर गई। पैंथर का चिकित्सकों ने स्वास्थ्य परीक्षण किया और उसे भी बायो पार्क में नर पैंथर के पास ही पिंजरे में रखा गया।
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