राजस्थान पत्रिका के 4 दिसम्बर के अंक में ‘जननी शिशु सुरक्षा योजना का उठा फर्जी भुगतान, एक ही एम्बुलेंस से छोड़े कई जच्चा- बच्चा’ शीर्षक से खबर प्रकाशित कर गड़बड़झाले की पोल खोली गई थी। खबर प्रकाशन के बाद आरएनटी मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. लाखन पोसवाल ने संबंधित फर्म का ठेका निरस्त किया था। इस बीच, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव व अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रिद्धिमा शर्मा ने टीम के साथ खेरोदा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर छापा मारा था। जांच में वहां पर जननी शिश सुरक्षा के नाम पर कोई सुविधा नहीं थी। एम्बुलेंस सिर्फ कागजों में चल रही थी। टीम सारी गड़बडिय़ों की सूची की रिपोर्ट बनाकर हाईकोर्ट को प्रेषित करेगी।
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ये मिली गड़बडिय़ां
– अस्पताल में शिड्यूल के अनुसार बायोवेस्ट को उठाने का ठेका दिया हुआ। टीम ने जांच की तो वहां पर आज दिनांक तक की उन्हें बायोवेस्ट उठाने की फर्जी कटी हुई पर्ची मिली, जबकि मौके पर पुराना बायोवेस्ट पड़ा था। इस वेस्ट को नियमानुसार नष्ट करना होता है लेकिन इधर-उधर ही फेंका जा रहा था। निडल को नष्ट करने के भी हबकटर नहीं मिला।
– जननी शिशु सुरक्षा योजना पूरी तरह से कागजों में चल रही थी। मौके पर एम्बुलेंस ही नहीं मिली।
– पीने का साफ पानी का अभाव था तो टंकी भी काफी लम्बे समय से साफ नहीं की गई।
– आयुवेॢदक चिकित्सक डॉ.अंकिता सियाल के नहीं मिलने पर उन्होंने छुट्टी पर बताया। इस संबंध में उसने डॉ. पाचूराम को जानकारी देना बताया जबकि खुद डॉ.दस दिन से छुट्टी पर बताया गया।