दिए जल कु सुंबे, किया पूजन गुाुवार को पारम्परिक वेशभूषा में सजी-धजी महिलाओं ने घरों, समाज के नोहरों व मंदिरों में पहुंचकर गणगौर के साथ ईसर भगवान और कानूड़े की पूजा-अर्चना की। कुछ महिलाएं कम संख्या में गणगौर घाट पहुंची और महिलाओं ने गणगौर, ईसर की प्रतिमाओं को फूलों से जल कुसुंबे दिए। कई महिलाओं ने मंदिरों व नोहरों में ही ये रस्म अदा की। साथ ही पूजा-अर्चना कर प्रसाद वितरण भी किया।
गणगौर के विशेष आयोजन कहार भोई, राजमाली, भोई, फूल माली, गांछी समाज, कलाल समाज, वसीटा समाज, मारू कुम्हार समाज, पूर्बिया आदि समाजों में होते हैं। इसके साथ ही कई घरों में छोटी गणगौर भी स्थापित की जाती है।
नहीं निकली शाही सवारी प्रतिवर्ष विभिन्न समाजों की ओर से शहर में गणगौर की शाही सवारी निकाली जाती है। यह सवारी तीज से शुरू होकर छठ तक निकलती है। इसके तहत जगदीश चौक, गणगौर घाट पर मेला लगता है। कोरोना संक्रमण के चलते गत वर्ष गणगौर की सवारी नहीं निकली थी और इस वर्ष भी यह नहीं निकाली जाएगी। वहीं, पर्यटन विभाग की ओर से गणगौर पर्व पर मेवाड़ महोत्सव मनाया जाता है। इसमें गणगौर सजाओ प्रतियोगिता के साथ सांस्कृतिक आयोजन भी होते हैं। यह आयोजन जगदीश चौक और गोगुंदा में होता है। लेकिन इस बार भी कोरोना के चलते यह आयोजन भी निरस्त कर दिया गया।