किसानों को उम्मीद थी कि उनकी समस्याएं सुनी जाएंगी और सरकार उनका समाधान करेगी, लेकिन अधिकारियों और आयोजकों की फौज ने उन्हें बीच में ही रोक लिया। ग्राम परिसर के गेट से लेकर हर जगह तथा डोम में सुरक्षा के लिए पुलिस के साथ बड़ी संख्या में जिस तरह से बाउंसर तैनात किए गए, उन्हें देखकर लगा कि मानों सरकार का अपनी पुलिस से भरोसा ही उठ गया है। दूसरी ओर, सरकार ने जिन प्रोजेक्टों की घोषणा की, उनके चुनाव होने तक पूरे नहीं होने की भी संभावना नहीं है।
किसानों की समस्याएं और प्रगतिशील किसानों के सुझाव सुनने के लिए जाजम चौपालें लगाई गई, लेकिन उनमें किसानों को बोलने का मौका देने के बजाय मंत्री और अधिकारी सरकार के कामकाज का बखान करते रहे। इस बीच, कंपनियों के अधिकारी भी अपने प्रोडक्ट का प्रचार करने से नहीं चूके। उपेक्षा के चलते जाजम चौपालों पर किसानों की भीड़ नहीं जुटी और पांडाल लगभग खाली पड़े रहे।
आयोजन में भीड़ जुटाने के लिए सरकार ने पूरा तंत्र झोंक दिया। भोले और गरीब किसानों को बीज दिखाने, रैली में जाने और भ्रमण के नाम पर लाया गया। खुद किसानों ने बताया कि यहां क्या होगा, क्या हो रहा है, इसका उन्हें कोई पता नहीं है। अधिकतर तो यह भी नहीं बता पाए कि वे यहां क्यों आए हैं।
अधिकारियों ने चौपाल में अफ ीम की खेती, सरसों व मिर्च में रोग लगने पर उपचार, जैविक खेती, बूंद-बूंद सिंचाई, फ व्वारा विधि के बारे में बताया। कृषि मंत्री ने किसानों से कहा कि उनकी उपज का सही और पूरा मूल्य मिल सकें, इसके लिए विभागीय योजनाओं के माध्यम से पूरे प्रयास जा रहे हैं।
विभिन्न डोम में कृषि, पशुपालन, बागावानी और कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी लगाई गई, वहीं खाद-बीज की कंपनियों ने भी अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया।