दोनों ही एसोसिएशन प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि परिवहन विभाग की ओर से पुराने ओवरलोड वाहनों के मामले में वाहन मालिकों को नोटिस भेजकर करोड़ों रुपए की पैनाल्टी जमा कराने के लिए बाध्य किया जा रहा है। आरोप है कि शुरू में खान विभाग की ओर से ई-रवन्ना जारी करने पर परिवहन विभाग की ओर से निश्चित वजन को मंजूरी दी जा रही थी। कुछ समय बाद माइनिंग विभाग की ओर से उस व्यवस्था को बंद करके ओवरलोड रवन्ना जारी करना शुरू किया गया। इसे वाहन मालिकों ने सरकार की ओर से वाहन भार क्षमता बढ़ाने की छूट मान लिया गया। खान व परिवहन विभाग की छूट से वाहनों के ओवरलोड चलने का क्रम शुरू हुआ। अब सरकार एमनेस्टी स्कीम चलाकर पैनाल्टी वसूलनी शुरू की है। संगठन ने सरकार से एमनेस्टी स्कीम वापस लेने की मांग की। साथ ही सरकारी निर्णय नहीं होने तक क्रेशर गिट्टी के परिवहन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है।
सरकार ने पहले ओवरलोड के लिए प्रोत्साहन दिया। बाद में ओवरलोड को अवैध बताकर एमनेस्टी लागू कर दी। ओवरलोड वाहनों के मामले में पहले परिवहन विभाग चुप्पी क्यो साधे रहा। हकीकत में यह पैनाल्टी इतनी अधिक है कि ऋण लेकर वाहन खरीदने वाले वाहन मालिकोंं की कमर टूट गई है। इसका पुरजोर विरोध होगा।
बी.एस. राव, प्रदेश संयोजक, ऑल राजस्थान कॉन्ट्रेक्टर एसोसिएशन