दरअसल, कटारिया बीती रात एक सभा में प्रताप के संघर्ष की दुहाई देते हुए कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उनकी जबान फिसल गई। उन्होंने प्रताप के लिए तू-तड़ाके की भाषा, जंगलों में रोता-फिरता, पागल कुत्ते के काटने जैसे शब्दों का इस्तेमाल अपने भाषण में किया। भाषण में कई शब्द ऐसे कह दिए, जो लोगों को नागवार गुजरे। हालांकि अपने भाषण में प्रताप का उदाहरण देते हुए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया था।
पूरे भाषण में हालांकि कटारिया ने महाराणा प्रताप के संघर्ष और ऐसे ही शासकों के एक हजार साल के संघर्ष को प्रेरणादायी बताते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं को इससे सीख लेने की बात कही, लेकिन कटारिया ने जिस तरह से अपनी बात कही, उससे लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। इधर, टिप्पणी का वीडियो वायरल होने के बाद सोमवार को दिनभर लोगों ने तहर-तरह की प्रतिक्रियाएं दी।
शाम को बढ़ गया बवाल
इस मामले को लेकर सोमवार शाम को कांकरोली के पुराना बस स्टैण्ड पर भाजपा के बड़े नेताओं की मौजूदगी में हुई सभा के बाद एक समाज के कुछ युवाओं ने कटारिया के विरोध में नारेबाजी भी कर दी। इस पर वहां उपस्थित भाजपा के बड़े नेताओं ने उन्हें टोककर चुप करने व समझाने का प्रयास किया। नारेबाजी करते कुछ युवकों को भाजपा और भाजयुमो कार्यकर्ताओं ने घेर लिया। इस दौरान धक्का-मुक्की भी हुई और माहौल बिगड़ गया। इस दौरान पुलिस मौके पर पहुंची तथा दोनों पक्षों के लोगों को अलग किया।
सीपी जोशी के विरोध में भी लगे नारे
कांकरोली बस स्टैण्ड पर भाजपा की सभा के बाद दो पक्षों में हुए विवाद के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं ने यह विरोध कांग्रेस के इशारे पर करने का आरोप लगाते हुए भाजपा कार्यकर्ताओं ने सीपी जोशी के विरोध में भी नारे लगाए। पुलिस के आने के बाद मामला शांत हुआ।
कटारिया बोले… क्षमा चाहता हूं मेरी भावना यह नहीं थी। प्रताप ने सारे सुख-वैभव को तिलांजलि देकर बड़े कष्ट सहे। अंतत: विजय प्राप्त की। उनका देश-धर्म के प्रति जो पागलपन था, वह उन्होंने जीवनभर निभाया। मैं जब से विधायक बना, तब से मेवाड़ में प्रताप के संघर्ष की गाथा को चिरस्थायी रखने के लिए काम कर रहा हूं। स्व. भैरोंसिंह शेखावत ने मेरे आग्रह पर मेवाड़ में प्रताप कॉम्पलैक्स योजना का सूत्रपात किया। प्रताप के प्रति मेरी अनन्य श्रद्धा है। मेरे शब्दों का प्रयोग गलत लगा तो क्षमा चाहता हूं।
गुलाबचंद कटारिया, नेता प्रतिपक्ष, विधानसभा