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उदयपुर

उदयपुर हाईकोर्ट मामले में आया ये नया मोड़, मुख्यमंत्री ने कहा अब नहीं पड़ेगी आंदोलन की जरूरत

– हाइकोर्ट बेंच की मांग को लेकर उच्च स्तरीय कमेटी शीघ्र ही उदयपुर का दौरा कर तथ्यात्मक रिपोर्ट बनाएगी

उदयपुरMay 20, 2018 / 07:21 am

Jyoti Jain

vasundhra

low floor

उदयपुर . उदयपुर में हाइकोर्ट बेंच की मांग को लेकर 36 वर्ष से संघर्ष को लेकर शनिवार को पहली बार मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में करीब डेढ़ घंटे तक वार्ता हुई। इसके बाद विधि मंत्री की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया। कमेटी शीघ्र ही उदयपुर का दौरा कर तथ्यात्मक रिपोर्ट बनाएगी। इसके आधार पर सरकार उदयपुर में हाइकोर्ट बेंच का भविष्य तय करेगी।
मुख्यमंत्री ने उदयपुर से गए प्रतिनिधि मंडल के समक्ष सकारात्मक रुख दिखाते हुए विधि सचिव से बातचीत की। उन्होंने प्रतिनिधि मंडल को आश्वस्त किया कि भविष्य में अब आपको आंदोलन करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
सीएम हाउस में शाम करीब 7.30 बजे शुरू हुई बैठक में गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, नगर विकास मंत्री श्रीचंद कृपलानी, विधि मंत्री पुष्पेन्द्रसिंह राणावत, मुख्य सचिव डी बी गुप्ता, विधि सचिव महावीर शर्मा, एसजी नरमल लोढ़ा, प्रमुख शासन सचिव तन्मय कुमार, संभागीय आयुक्त भवानीसिंह देथा, आईजी आनंद श्रीवास्तव, जिला कलक्टर बिष्णुचंद मल्लिक, एसपी राजेन्द्रप्रसाद गोयल के अलावा उदयपुर से गया हाइकोर्ट बेंच संघर्ष समिति का प्रतिनिधि मंडल मौजूद था।

गृहमंत्री ने की पैरवी, रखा पक्ष

वार्ता में कटारिया ने इस मुद्दे की ठोस पैरवी करते हुए कहा कि हमको किसी भी सूरत में हाइकोर्ट बेंच चाहिए। उदयपुर संभाग विशेष अनुसूचित क्षेत्र है, जिसकी 56 प्रतिशत आबादी आदिवासी है। एेसे में हमारा जो दावा है, वह दूसरे किसी क्षेत्र से मजबूत है। मुख्यमंत्री ने इस तर्क को मानते हुए कहा कि प्रथमदृष्टया मांग मानने योग्य है। गरीब एवं आदिवासियों को न्याय मिलना चाहिए। कटारिया के अलावा हाइकोर्ट संघर्ष समिति के रमेश नंदवाना, शांतिलाल चपलोत, रामकृपा शर्मा व शांतिलाल पामेचा ने पक्ष रखते हुए अन्य राज्यों के अलग-अलग जिलों में हाइकोर्ट होने के बारे में बताया। हाल में उन्होंने महाराष्ट्र में चार हाइकोर्ट बेंच होने के बावजूद पूणे व कोल्हापुर के खुली नई बेंच के बारे में भी जानकारी दी। उदयपुर से गए प्रतिनिध मंडल में अधिवक्ता प्रवीण खंडेलवाल, बार अध्यक्ष रामकृपा शर्मा, सत्येन्द्र पाल छाबड़ा, पूर्व अध्यक्ष महेन्द्र नागदा, भरत वैष्णव, चेतनपुरी गोस्वामी, हरीश शर्मा, डॉ. सत्येन्द्र सिंह सांखला, चित्तौडग़ढ़ से कन्हैयालाल श्रीमाली, भीलवाड़ा से नत्येन्द्रसिंह राणावत शामिल थे।
1950 में उदयपुर की खंडपीठ समाप्त
मेवाड़ राज्य में उदयपुर में हाइकोर्ट बैंच ने 23 मार्च 1948 तक काम किया। राजस्थान के अस्तित्व में आने पर 22 मई 1950 को उदयपुर व 14 जुलाई 1958 को जयपुर में खंडपीठ समाप्त कर दी गई। जयपुर में 31 जनवरी 1977 को जयपुर ने खंडपीठ ने वापस काम करना शुरू किया। इस क्षेत्र की जनता ने यहां से मेवाड़ से गई बेंच को वापस लाने की मांग की। उदयपुर संभाग में भीलवाड़ा व सिरोही जिलों को सम्मिलित करने पर यहां पर बहुसंख्यक मात्रा में अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति है। इन्हें न्याय दिलाने के लिए अनुसूचि में विशेष अधिकार प्राप्त है। यहां के आदिवासी गरीब मजदूर व कृषि पर आधारित है। आर्थिक रूप से कमजोर होने से बेंच खोली जानी आवश्यक है।
इधर, क्रमिक अनशन अब भी जारी

वरिष्ठ भाजपा नेता शांतिलाल चपलोत का हाइकोर्ट बेंच की मांग को लेकर आमरण अनशन भले ही समाप्त हो गया हो अधिवक्ताओं का क्रमिक अनशन शनिवार को 33 वें दिन भी जारी रहा । आमरण अनशन से सशर्त उठे रोशनलाल सामोता ने आंदोलन को लेकर फैल रही अफवाहों को भ्रामक व तथ्यों से परे बताया। उन्होंने घोषणा की कि अगर सरकार सकारात्मक प्रयास नहीं करती है तो वे पुन: अनशन पर बैठने को तैयार हैं। मेवाड़-वागड़ हाइकोर्ट बेंच संघर्ष समिति के आह्वान पर जारी क्रमिक अनशन पर शनिवार को सामोता के नेतृत्व में मोहम्मद अशफाक खां, भारत कुमावत, शत्रुघ्न सिंह चंूडावत, हेमंत पालीवाल, भूपेंद्रसिंह चूंडावत,सुरेंद्र सिंह, विजयसिंह चौहान अजय आचार्य, अब्दुल हनीफ , योगेंद्र दशोरा सहित कई अधिवक्ता व स्वयंसेवी संगठन के लोग बैठे । सामोता ने कहा कि वे आमजन के हित में आमरण अनशन पर बैठे और सरकार के सशर्त वार्ता के लिए बुलाए जाने से ही उन्होंने अनशन तोड़ा है।

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