मोहम्मद इलियास/उदयपुर. तोड़-बट्टा करो, मिलीभगत कर हर थोड़े-थोड़े अंतराल में सस्ती शराब के ट्रक आगे चलाकर पकड़वाओ, गुजरात की सीमा से लगी दुकानें पर कब्जा करो, धरपकड़ होने पर रूट बदलो, माल आने पर एस्कोर्ट करते हुए अलर्ट करो। फिर भी बात नहीं बने तो ‘घोड़ा’ दबाओ, पर कैसे भी कर माल गुजरात पहुंचाओ। कुछ इसी तरह शराब तस्कर विनोद सिंधी साथी तस्करों से पुरानी दुश्मनी भुलाकर मांडवली करना चाह रहा था लेकिन इससे पूर्व वह एसओजी के हत्थे चढ़ गया। बड़ौदा निवासी तस्कर विजय उर्फ विनोद पुत्र मुरलीधर सिंधी के पकड़ में आते ही गुजरात पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम उदयपुर पहुंच गई। यह टीम पूछताछ करती, उससे पहले ही डूंगरपुर जिले की धम्बोला थाना पुलिस आरोपी को अपने साथ ले गई। न्यायालय ने विनोद सिंधी को छह दिन के रिमांड पर रखने का आदेश दिया।
आरोपी के विरुद्ध दर्ज 50 मामलों दर्ज हैं जिनमें से अकेले 16 मामलों में वह गुजरात में वांटेड चल रहा है। डूंगरपुर में उसके विरुद्ध दो हत्या के मामले दर्ज हैं। गौरतलब है कि एसओजी टीम ने गुरुवार को विनोद सिंधी के साथ ही बस्सी सलूम्बर निवासी भंवरलाल मेवाड़ा, खेरवाड़ा निवासी चिराग पंचोली, बनोड़ा सलूम्बर निवासी अम्बालाल मेवाड़ा, गंधोली घासा निवासी सुनील टेलर, संतकंवर कॉलोनी वड़ौदा निवासी सुनील केवलरमानी, मंसू रियासी जम्मू-कश्मीर निवासी सोमराज को हिरासत में लिया था।
खुद का माल पकड़ा गया तो मिलाया हाथ
गुजरात में शराब तस्करी के खेल में विनोद ने लतीफ की तरह डॉन बनने का प्रयास किया जिसमें उसने पहले साथी तस्करों को निशाना बनाते हुए उनका माल पकड़वाया। जो नहीं माना उसने हत्या, जानलेवा कर अकेला हरियाणा से गुजरात शराब तस्करी लाइन व बॉर्डर इलाके की दुकानों को अपने कब्जे में किया। जब खुद का माल पकड़ में आया तो उसने पहली बार तस्करों से हाथ मिलाते हुए मांडवली के लिए उन्हें उदयपुर बुलाया।
हकीकत जानकर भी बने हैं अनजान
शराब कारोबारियों का कहना है कि रईस फिल्म में बताए कारनामों की तरह ही अब तक सब मिलीभगत रही है। इस मार्ग पर विभाग ने अवैध शराब के बड़ी संख्या में ट्रक पकड़े लेकिन कुछ ट्रक खुद तस्करों ने विभाग को सुपुर्द कर उनके नम्बर बढ़वाए हैं। इसकी आड़ में महंगी ब्राण्ड की शराब व कई ट्रकों को आसानी से बॉर्डर पार किया गया। यही कारण है कि दोनों राज्यों की सरकारों को इसके बारे में पता होने के बावजूद बॉर्डर पर आज तक तस्करी को रोकने के कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। डूंगरपुर पुलिस की सख्ती के चलते आरोपियों ने अभी अपना रूट बदला है।
हरियाणा में मिलती है सस्ती शराब यों उठाते थे माल : हरियाणा से कंपनियों के माल उठाने के बाद चोरी व फाइनेंस की गाडिय़ों से माल गुजरात व बिहार पहुंचाना। पूरी मार्ग पर एस्कोर्ट करना, पकड़ में आने पर जमानत करवाना।पुलिस व आबकारी से सेटिंग करना। गुजरात में हरियाणा के साथ ही राजस्थान की खपत भी ज्यादा होने से राजस्थान बॉर्डर से माल पहुंचाना।
बॉर्डर की 25 दुकानों पर कब्जा:
उदयपुर, डूंगरपुर व बांसवाड़ा में गत वर्ष तस्करों का बॉर्डर की 25 दुकानों पर कब्जा था। नया ठेका होने के बाद से तोड़-बट्टा चल रहा है।