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उदयपुर

आराम की छुट्टियों पर लूट की निगाहें

– चिकित्सा विभाग में चाइल्ड केयर लीव के कई मामले (medical department)- जिले भर में 16 चिकित्सक अवकाश, करीब 10 से अधिक आवेदन लम्बित (medical department)

उदयपुरJul 24, 2019 / 10:59 pm

Bhuvnesh

चिकित्सा विभाग में चाइल्ड केयर लीव के कई मामले

चिकित्सा विभाग में चाइल्ड केयर लीव के कई मामले

भुवनेश पण्ड्या

उदयपुर . चाइल्ड केयर लीव। यह ऐसा अवकाश है जिस पर जरूरतमंद की कम और अवसरवादियों की निगाहें ज्यादा जमी हुई हैं। चिकित्सालयों में पहले ही चिकित्सकों का टोटा है, उस पर चाइल्ड केयर लीव लेने वाले चिकित्सकों की लम्बी कतार। जिले में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग (medical department) में 16 चिकित्सक अवकाश पर चल रहे हैं, वहीं 20 से अधिक आवेदन स्वीकृति की कतार में हैं। अधिकतर चिकित्सक इस अवकाश को बच्चों की परीक्षा के समय लेते हैं, वहीं कुछ ऐसे चिकित्सक हैं, जो जल्द से जल्द आवेदन स्वीकृत करवाने की जुगाड़ में हैं क्योंकि बच्चे 18 वर्ष से अधिक के हो गए तो अवकाश नहीं मिलेगा। (medical department)
इसलिए की गई शुरुआत (medical department)

एकल परिवार व्यवस्था वाले इस युग में छोटे बच्चों की देखभाल बहुत मुश्किल है।(medical department) इसके लिए चाइल्ड केयर लीव की शुरुआत की गई। कामकाजी महिलाओं के लिए बच्चों की परवरिश बहुत मुश्किल भरा काम है। राज्य के करीबन 8 लाख महिला कार्मिकों के लिए मेटरनिटी लीव यानी प्रसूति अवकाश की सुविधा है, लेकिन यह अवकाश प्रसूति के समय ही मिलता है।(medical department)
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ये हैं नियम

– किसी कार्मिक की 120 पीएल स्वीकृत करने का अधिकार कार्यालय अध्यक्ष को है। इससे अधिक अवकाश की स्वीकृति का अधिकार विभागाध्यक्ष के पास है। ये ही प्रावधान चाइल्ड केयर लीव स्वीकृति के लिए रहेगा। (medical department)
– महिला कर्मचारी अपने पूरे सेवा काल में दो बच्चों की देखभाल के लिए कुल 730 दिन की चाइल्ड केयर लीव ले सकती हैं। इसमें एक बार में न्यूनतम 15 दिन व अधिकतम 180 दिन का अवकाश लिया जा सकता है। (medical department)
– यह अवकाश उपार्जित अवकाश की भांति गिना जाता है। ऐसे ही स्वीकृत किया जाता है। इस अवकाश के बीच में सार्वजनिक अवकाश जैसे रविवार या शनिवार आने पर अवकाश के दिनों में गिने जाते हैं, लेकिन अन्य अवकाशों में इसका समायोजन नहीं होता। चाइल्ड केयर लीव का ब्योरा सर्विस बुक में भी दर्ज होता है।(medical department)
– दिव्यांग बच्चे के मामले में 22 वर्ष एवं सामान्य बच्चे के मामले में 18 वर्ष की आयु तक यह छुट्टी ले सकने का प्रावधान है। 40 प्रतिशत से अधिक विकलांगता होने पर छुट्टी से पहले कर्मचारी को विकलांग बच्चे की निर्भरता का प्रमाण पत्र और अन्य संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने होते हैं।
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ये है सबसे महत्वपूर्ण:

– राजस्थान सेवा नियम 1951 में नया नियम 103 सी चाइल्ड केअर लीव जोड़ा गया है, यह सवैतनिक अवकाश होता है। अवकाश से पूर्व जो वेतन है, मिलता रहेगा। अन्य किसी भी अवकाश के साथ लिया व जोड़ा जा सकता है। (medical department)
– अनधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने वाले कार्मिकों को यह अवकाश देय नहीं होगा। राज्य सरकार विभाग के कार्य प्रभावित नहीं हो, ऐसी स्थिति में ये अवकाश स्वीकृत किया जा सकेगा। बच्चे के बीमार होने पर एवं बाहर रहने की स्थिति में डॉक्टर के प्रमाण के आधार पर यह अवकाश लिया जा सकेगा। बच्चे की परीक्षा होने पर लिया जा सकेगा। (medical department)(medical department)
– यदि चाइल्ड हॉस्टल में रहता है तो महिला कार्मिक को यह तथ्य प्रस्तुत करना होगा कि हॉस्टल में आपकी केयर की जरूरत कैसे है। इसका प्रमाण प्रस्तुत करने पर ही हॉस्टलर्स चाइल्ड के लिए ये अवकाश स्वीकृत किया जा सकेगा।(medical department)
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एक वर्ष में तीन से अधिक बार छुट्टी नहीं दी जा सकती है। परिवीक्षाधीन कार्मिक को नहीं दी जा सकती है। यदि कोई महिला कर्मचारी विदेश में रहने वाली एक नाबालिग बच्ची की परीक्षा व बीमारी के लिए अवकाश की मांग करती है तो उसे संस्थान की ओर से जारी प्रमाण पत्र मिलने के बाद ही ऐसा किया जाएगा। (medical department)
डॉ रमेश जोशी, उपाधीक्षक महाराणा भूपाल हॉस्पिटल

फिलहाल कुछ चिकित्सक चाइल्ड केयर लीव पर है, तो कुछ आवेदन कतार में हैं। बीसीएमओ को स्पष्ट निर्देश हैं कि यह तब ही स्वीकृत किए जाए जब कोई व्यवस्था प्रभावित नहीं होती हो। (medical department)
डॉ दिनेश खराड़ी, सीएमएचओ

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हमारे यहां कुछ चिकित्सक आदतन हैं जो इस लीव के नाम पर बार-बार अवकाश पर जाते हैं। हो सकता है कि प्रबन्धन उनके महिला होने के कारण उन्हें इसकी स्वीकृति देता हो लेकिन उन्हें भी सोचने की जरूरत है। हालांकि हम इसमें भी अधिकतम 30 दिन का एक साथ अवकाश देते हैं।(medical department)
डॉ लाखन पोसवाल, अधीक्षक महाराणा भूपाल हॉस्पिटल

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