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उदयपुर

गोला बारूद से भरी ट्रेन में मैं अकेला, छह पाकिस्तानी प्लेन ने ऊपर से मुझे घेर लिया….

हवलदार दुर्गाशंकर पालीवाल – वीर चक्र

उदयपुरAug 15, 2021 / 10:14 am

bhuvanesh pandya

गोला बारूद से भरी ट्रेन में मैं अकेला, छह पाकिस्तानी प्लेन ने ऊपर से मुझे घेर लिया....

गोला बारूद से भरी ट्रेन में मैं अकेला, छह पाकिस्तानी प्लेन ने ऊपर से मुझे घेर लिया….

भुवनेश पंड्या
उदयपुर. बात 1971 की हैं, जब हवलदार दुर्गाशंकर पालीवाल को अकेले ही गोला बारूद से भरी ट्रेन लेकर पाकिस्तान के खोखरा पार स्टेशन से नया छोर में बैठी भारतीय टुकड़ी 10 सिख अलाइन तक पहुंचना था। भारतीय सेना ने पाकिस्तान में करीब 40 किलोमीटर तक घुसपैठ कर ली थी। 1971 में बाड़मेर गडरा रोउ हैडक्वार्टर था। 11 दिसम्बर 71 में 40 किलोमीटर पाकिस्तान में घुसकर बैठी भारतीय10 सिख अलाइन नया छोर में बैठी थी। उन तक आर्टलरी एमुनेशनल गोला बारूद देना था। सुबह 6 बजे तक नया छोर में पहुंचना जरूरी था। रेल के 13 वेगन भरकर ये गोला बारूद देना था। 12 दिसम्बर 71 को सुबह छह बजे पहुंचना था। पूरी ट्रेन में पालीवाल अकेले थे, जो खुद ट्रेन चला रहे थे। पाकिस्तान के स्टेशन खोखरापार में रात करीब 12 बजे पहुंच गए। यहां पर फील्ड इंजीनियरिंग की रेजिमेंट थी, टे्रन यहां से पास कर पाकिस्तान की अलाइन से लाइन मिलाकर नया छोर सुबह साढ़े पांच बजे नया छोर पहुंचे। 1965 के युद्ध में वहां पर जाने के कारण उन्हें पता था कि यहां की भौगोलिक स्थितियां कैसी है। सुबह पांच बजे नया छोर पहुंच गए थे। पहुंचने के बाद उस रेजिमेंट को कोड वर्ड कॉल करने के दौरान पाकिस्तान के प्लेन ने ऊपर से गोलाबारी शुरू कर दी। लेकिन जैसे ही कोड से रेजिमेंट को लगातार कॉल किया तो पाकिस्तान के एक के बाद एक छह प्लेन आ गए और ट्रेन को घेर लिया। अब ये ट्रेन को ब्लास्ट करने वाली स्थितियां बन चुकी थी। ऐसे में ट्रेन को पाकिस्तान के हैदराबाद की ओर मोड दिया। छह प्लेन घेरे हुए थे, वह ऊपर मंडराते रहे, फिर उन्होंने वहां स्टेशन की बिल्डिंग पर बम फेंक इसे गिरा दिया। जितने बम थे वह नया छोर पर फेंक दिए, ऐसे में वह खाली हो गए, अब वह री लोड होने गए तब रास्ते से गाड़ी को रिवर्स किया। फिर से नया छोर पहुंचकर रेजिमेंट से संपर्क किया तो सैनिक स्टेशन पर आ गए। उन्हें एमुनेशन देने के बाद नीचे से भारतीय सेना ने उन प्लेन पर एंटी एयर क्राफ्ट गन से फायर शुरू कर दिए। इसके बाद यहां पर कोई प्लेन पाकिस्तान का नहीं आया। जब लौट रहे थे तब दौरान खोखरापार के समीप एक रेल लाइन को निशाना बनाकर हिट कर दिया। इस बमबारी में उनके हाथ पैर जल गए। वह कोहनियों से ट्रेन चलाकर आगे आए, लेकिन टूटी लाइन के कारण ट्रेन छोडऩी पड़ी। पहाडिय़ों के बीच ट्रेन खड़ी की ओर वह पैदल चलने लगे। करीब एक किलोमीटर चले ही थे कि भारत की ओर से रेकी करने के लिए आए हेलीकॉप्टर को नीचे से इशारा किया तो हेलीकोप्टर ने उन्हें लिफ्ट किया। अब मुनाबाव में एमआई हॉस्पिटल में उपचार किया। इसके बाद बाड़मेर में उपचार चला और जोधपुर मिलिट्री हॉस्पिटल में लाए। जब वह भर्ती थे तो वहां पर राष्ट्रपति वीवी गिरि व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उनसे मिलने पहुंचे। इस वीरता पर पालीवाल को राष्ट्रपति वीवी गिरि ने वीर चक्र से सम्मानित किया।

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