जानकारों की मानें तो देश में सबसे बड़ा बरगद, आध्ंा्रपेदश के कोकंटी चौराहे के पास है, जिसका नाम थमम्मा मरी मानु है। यहां थमम्मा बरगद लगाने वाले व्यक्ति का नाम है। आंध्रप्रदेश की स्थानीय बोली में मरी का अर्थ बरगद से है। वहीं मानु का मतलब वृक्ष से है। आंध्रप्रदेश के इस वृक्ष पर 11 सौ से भी अधिक लटे लटकती हैं। वहीं दूसरा वृक्ष कलकत्ता के शिबपुर में है। वहां भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण विभाग कार्यालय में है। इसमें भी लटकती हुई लटों वाली जड़ों का भंडार है।
बरगद को वट वृक्ष भी कहा जाता है। पीपल की तरह ही बरगद को भी पूजा जाता है। पुराणों के अनुसार बरगद में भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश का वास माना जाता है। इस पेड़ की पत्तियां एक दिन में 20 घंटों से ज्यादा समय तक ऑक्सीजन बनाती हैं। इस लिहाज से धार्मिक एवं वैज्ञानिक दोनों स्तर पर वट वृक्ष का अपना महत्व है।
मादड़ी गांव में बिना लट (जड़ों) वाला देश का सबसे बड़ा वट वृक्ष हो सकता है। देश में और कहीं पर बिना लट वाले ऐसे वट वृक्ष का कोई रेकॉर्ड नहीं है। मेरे खुद के स्तर पर इस वट वृक्ष का बायोमेट्रिक अध्ययन किया गया है। विज्ञान अनुसंधान केंद्र लखनऊ में इसका प्रकाशन भी हो चुका है।
डॉ. सतीश शमा, सेवानिवृत्त, सहायक वन संरक्षक
मादड़ी स्थित विशालकाय वट वृक्ष को ऐतिहासिक प्राकृतिक धरोहर के तौर संरक्षण देना चाहिए। ऐसे वृक्षों की पहचान को भी सूचीवृद्ध करना चाहिए। india history पर्यटकों की लिहाज से भी ये जरूरी है।
डॉ. जी.पी. सिंह झाला, लोक वनसपति विशेषज्ञ, उदयपुर