Happy Fathers Day : उंगली पकड़ के तूने चलना सिखाया था ना… दहलीज़ ऊंची है ये पार करा दे
मधुलिका सिंह चौहान/उदयपुर . बच्चों को अंगुली पकड़ कर चलना सिखाने से लेकर उनकी हर छोटी जिद पूरी करना, स्कूल छोडऩा, छुट्टी के दिन घुमाने ले जाना। पिता ही तो हैं जो यह सब करते हैं। बच्चे को जरा सी चोट लग जाती है तो मां का हृदय तड़प उठता है और आंखें नम हो जाती हैं। पिता का दिल भी मां जितना ही द्रवित होता है लेकिन वह इस द्रव्यता को बाहर नहीं लाता। अंदर ही समेट कर रख लेता है। मां अपना प्यार बोल कर व दर्शा कर प्रकट कर देती है लेकिन पिता अपना प्यार प्रकट नहीं कर पाता है। शायद, यही कारण है कि पिता के प्यार को अबोला व अप्रदर्शित प्यार कहा जाता है जिसे सिर्फ सच्चे मन से महसूस किया जा सकता है। पिता को हमेशा चेहरे पर गंभीरता, सख्त मिजाज, आदेशात्मक रवैया व उनकी अनुशासन प्रियता से जाना जाता रहा है। लेकिन, सच्चाई सिर्फ यह नहीं है। बाहर से बेहद स त दिखने वाले पिता अपने बच्चों के लिए अंदर से बेहद नरम दिल होते हैं। रविवार को फादर्स डे है और इस मौके पर हम शहर के कुछ ऐसे पिता से मिलवा रहे हैं जो इस रिश्ते के लिए मिसाल हैं और प्रेरक उदाहरण ाी हैं