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उदयपुर

विश्व जनजाति दिवस : यहां जंगलवासियों का है अपना अनूठा बैंकिंग सिस्टम

जरूरत के वक्त समाज के लोग मिलकर करते हैं मदद, अब गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वद्यिालय करेगा अनुसंधान

उदयपुरAug 09, 2020 / 03:03 pm

jitendra paliwal

विश्व जनजाति दिवस : यहां जंगलवासियों का है अपना अनूठा बैंकिंग सिस्टम

विश्व जनजाति दिवस : यहां जंगलवासियों का है अपना अनूठा बैंकिंग सिस्टम

जितेन्द्र पालीवाल @ उदयपुर. दक्षिण राजस्थान के डूंगरपुर-बांसवाड़ा जिले में प्रचलित नोतरा प्रथा चलता-फिरता बैंकिंग सिस्टम है। दशकों पुराना यह रिवाज मुसीबत या जरूरत के वक्त जनसहयोग जुटाता है और परिवार के मांगलिक ही नहीं, कई तरह के काम बेफिक्री में पूरे हो जाते हैं। अब गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय, बांसवाड़ा आर्थिक सहयोग की इस पुरानी परम्परा पर अनुसंधान कर रहा है।
जीजीटीयू के कुलपति डॉ. आई.वी. त्रिवेदी बताते हैं कि इस रिवाज ने आदिवासी समाज के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को जरूरत के वक्त बहुत सम्बल दिया। किसी समूह का छोटे समुदाय का यह सेल्फ बैंकिंग सिस्टम जिन्होंने बनाया, उनकी सोच काबिलेतारीफ है। बड़ी जिम्मेदारी के वक्त अकेले व्यक्ति या परिवार पर कोई बोझ नहीं आता और मददकर्ता भी खुद को धन्य महसूस करता है। त्रिवेदी बताते हैं कि अनुसंधान के बाद इसे यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाएंगे। इधर, अब तो वनवासियों के इलाकों में विद्यालयों के निर्माण या और किसी विकास कार्यों में नोतरा बुलाकर पैसा जुटाने की सुखद पहल शुरू हो गई है। कई निर्माणों में लोगों ने नोतरा बुलाकर आर्थिक सहायता जुटाई।
क्या है नोतरा प्रथा?
आदिवासी अंचल में गांव या नाते-रिश्तेदारों में किसी एक घर में शादी-ब्याह, कोई और मांगलिक कार्य या जरूरत के वक्त समाज व परिवार के लोगों द्वारा छोटी रकम देकर बोझ हल्का करने की परम्परा है। इसका बाकायदा हिसाब-किताब रखा जाता है। मदद पाने वाला भी दूसरे के घर काम पडऩे पर वापस आर्थिक सहायता करता है। जरूरत के वक्त किसी को भी हजारों-लाखों रुपए जुटाने की फिक्र नहीं होती।

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