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उदयपुर

खूब लगे ठहाके, बजी तालियां, जमा कवि सम्मेलन

पयुर्षण महापर्व एवं धूप दशमी के अवसर पर हुमड़ भवन में कवियों ने किया रचना पाठ

उदयपुरSep 20, 2018 / 02:21 am

Sushil Kumar Singh

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खूब लगे ठहाके, बजी तालियां, जमा कवि सम्मेलन

उदयपुर. सकल दिगम्बर जैन समाज के १० दिवसीय पर्युषण महापर्व एवं धूप दशमी के मौके पर बुधवार को हुमड़ भवन में श्रोताओं व दर्शकों के ठहाकों व तालियों की गडग़ड़ाहट के बीच कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। प्रचार प्रसार मंत्री पारस चित्तौड़ा ने बताया मंगलाचरण एवं गणपति वन्दना के साथ प्रारम्भ हुए कवि सम्मेलन में सकल दिगम्बर जैन समाज के सैंकड़ों श्रोता उपस्थित हुए।
कवि सम्मेलन के सूत्रधार उदयपुर के राव अजात शत्रू थे। कवि सम्मेलन का प्रारम्भ सायं 8 बजे से हुआ। कवियों का स्वागत अभिनन्दन अध्यक्ष शांतिलाल वेलावतए सुरेश पदमावत, देवेन्द्र छाप्या, सुमतिलाल दुदावत, जनकराज सोनी आदि ने किया। महिला मण्डल ने मंजू गदावत और विद्या जावरिया के नेतृत्व में मंगलचरण एवं गणपति वन्दना की।
कवि सम्मेलन के सूत्रधार एवं प्रसिद्ध कवि राव अजात शत्रु ने . जो शुचिता को धारण करता है वही दिगम्बर होता है, जो नियमों का पालन करता है वही दिगम्बर होता है। संसार विजय कर लेने से कोई भी वीर नही होता, मन के कषाय से जो लड़ता है। वही दिगम्बर होता है। कवि अजात की इन पंक्तियों पर हर श्रोता खुशी से झूम उठा और भगवान महावीर के जयकारों से पाण्डाल गूंजा दिया।
किशनगढ़ के हास्य कवि कमल माहेश्वरी ने खूब हास्य के फव्वारे छोड़ते हुए हास्य कविता खूंखार पत्नी सुनाई। कविता के बोल थे. कानों में झुमके पहनने के बजाए नीबू मिर्ची लटकाया करो सुनाई तो हुमड़ भवन के पूरे पाण्डाल में मौजूद हर श्रोता हंस-हंस कर लोटपोट हो गया।
बड़ोदरा से श्रृंगार रस की कवियित्री श्वेतासिंह ने तुम्हारी याद यूं धूनी रमा बैठी सुबह मन में, कि ज्यों कैलाश पर बैठे हुए शिव ध्यान चिन्तन में। तुम्हारी चाह ने सातों जगाए चक्र अन्तरा केए मधुर रस में भिगो डाला बिठा कर प्रेम आसन में, सुनाया तो वहां उपस्थित श्रोताओं ने तालियां बजा कर उन्हें खूब दाद दी।
अजमेर से कवि लोकेश चारण ने वीर रस और व्यंग्य बाणों से श्रोताओं की खूब तालियां बंटोरी। उन्होंने आज के नेताओं पर जम कर कटाक्ष करते हुए जब यह पंक्तियां पढ़ी. उन्हें वोट देते हैंए हम देते हैं चन्दे, जिन्हें लगने चाहिये थे फांसी के फंदे। इन पंक्तियों पर उन्होंने श्रोताओं की खूब दाद लूटी।
छठे दिन मनाया उत्तम संयम धर्म
पर्युषण पर्व के छठे दिन चित्रकूट नगर स्थित आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में सुबह के समय भगवान श्रीजी का अभिषेक शंाति धारा एवं पूजा पाठ के साथ उत्तम संयम धर्म मनाया गया। दिगम्बर जैन खण्डेलवाल संस्थान के राजेंद्र चित्तौड़ा व राजेश बडज़ात्या ने बताया कि डॉ. निर्मला बैनाड़ा ने उत्तम संयम धर्म पर प्रवचन दिया। प्रचार संयोजक शांति कुमार कासलीवाल ने बताया कि दिन में समाज के कई सदस्यों की ओर से सुंदर आरती थाली सजाई गई। प्रथम तीन को सम्मानित किया गया।
इधर, सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष शंातिलाल वेलावत ने बताया कि इस मौके पर सुबह विधिविधान के साथ पूजा हुई। दोपहर को जिन वाणी पूजन एवं तत्वार्थ सूत्र का वाचन हुआ। धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि धर्मभूषण ने कहा कि आत्म संयम से स्वर्ग प्राप्त होता है, किन्तु असंयम इन्द्रिय.लिप्सा अपार अंधकार पूर्ण नरक के लिए खुला राजपथ है। आत्म संयम की रक्षा अपने खजाने के समान ही करो क्योंकि उससे बढ़कर इस जीवन में और कोई निधि नही है। सातवां दिवस उत्तम तप धर्म के रूप में मनाया जाएगा।
महावीर दिगम्बर जैन दशा नागदा चेरिटेबल ट्रस्ट सेक्टर.14 के अध्यक्ष भंवर मुण्डलिया ने बताया कि सुबह के समय धार्मिक आयोजन हुए। ट्रस्ट महामंत्री भूरी लाल जैन ने बताया कि पांच उपवास करने वालें तपस्वियों का पारणा भी विधि विधान से हुआ। रात में पंडित दिनेश कुमार जैन ने शास्त्र स्वाध्याय किया। सामूहिक घूप खेवन के बाद भव्य डांडिया रास का आयोजन हुआ।
जीवन अनुशासित करता है संयम
पाश्र्वनाथ क्रांति युवा संस्थान की ओर से पाश्र्व.पद्मावती सभागार में पर्युषण के उपलक्ष्य में पूजन प्रशिक्षण शिविर के छठे दिन विधानाचार्य संजय सरस ने नागेन्द्रा भवन की सभा में कहा कि संयम मनुष्य को जीवन में अनुशासित करने का कार्य करता है। व्यक्ति अगर उसके हर कार्य को संयम से करेगा तो जीवन में सभी कार्य अनुशासित ढंग से होते चले जाएंगे। हर व्यक्ति को जीवन में संयम का प्रण लेना चाहिए। मुख्य संयोजक निर्मल कुमार सालवी ने बताया कि इससे पहले कार्यक्रम में धार्मिक आयोजनों की धूम रही।
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