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उदयपुर

डिजिटल इंडिया के युग में भी रेगिस्तान का जहाज आज भी कुछ इलाकों में पहुंचा रहा राशन सामग्री

इन ग्रामीण क्षेत्रों में सडक़ों के अभाव में आज भी अध्यापकों को विद्यालयों तक जाने के लिए 7 से 8 किमी तक उबड़- खाबड़ कच्चे रास्तो से होकर पैदल चलना पड़ता है। ऐसा ही मामला कोटड़ा के राजकीय शिक्षाकर्मी प्राथमिक विद्यालय सेई कला में सामने जहाँ आज भी स्कूलों तक ऊटो से राशन सामग्री पहुंचाई जाती है।

उदयपुरJul 25, 2019 / 06:04 pm

madhulika singh

Camel Fair did not increase the number of camels in the Pushkar fair

Camel Fair did not increase the number of camels in the Pushkar fair

उदयपुर/कोटड़ा. डिजिटल इंडिया के युग में आज भी कई आदिवासी इलाकों में सरकारी स्कूलों की दयनीय स्थिति है। इन ग्रामीण क्षेत्रों में सडक़ों के अभाव में आज भी अध्यापकों को विद्यालयों तक जाने के लिए 7 से 8 किमी तक उबड़- खाबड़ कच्चे रास्तो से होकर पैदल चलना पड़ता है। ऐसा ही मामला कोटड़ा के राजकीय शिक्षाकर्मी प्राथमिक विद्यालय सेई कला में सामने जहाँ आज भी स्कूलों तक ऊटो से राशन सामग्री पहुंचाई जाती है। अध्यापकों को विद्यालय जाने के लिए दो बार सेई नदी एवं एक बार नाला पार करना पड़ता है जिसके कारण यहां स्कूल तक बड़े वाहन नहीं जा पाते हैं। इसलिए यहां के अध्यापक 300 रुपए ऊंट की मजदूरी देकर राशन सामग्री लादकर स्कूल तक पहुंचाते हैं। बारिश के मौसम में स्थिति और भी खराब हो जाती है, जो करीबन 7 किमी का सफर तय करने में एक या दो घण्टे का समय लगता है।
एक कमरे में संचालित पूरा विद्यालय
राजकीय शिक्षा कर्मी प्राथमिक विद्यालय सेई कलां में कुल नामांकन 73 है । जिसमे दो शिक्षक, एक शिक्षा कर्मी अध्यापक एवं एक तृतीय श्रेणी शिक्षक कार्यरत है। यहां अतिरिक्त कक्षा कक्ष नहीं होने से एक कमरे में ही सभी बच्चो को पढ़ाया जा रहा है। जंगल एवं कच्चा रास्ता होने से पोषाहार की सामग्री पहुँचाने के लिए वाहन नही आ पाते है। हमे ऊँटो पर लादकर सामग्री को ले जाना पड़ता है।
मणिशंकर मीणा, अध्यापक सेई कला
150 घरों की आबादी में बिजली, सडक़, मोबाइल नेटवर्क सुविधा नहीं
क्यारी पंचायत के सेई कला गांव में 150 घरो की आबादी है । यहां पहुुंचने के लिए पहाड़ी, नदी-नालों उबड़-खाबड़ रास्तों से होते हुए गुजरना पड़ता है। इस गांव में बिजली, सडक़, मोबाइल नेटवर्क की भी कोई सुविधा नहीं होने से फोन पर संपर्क नहीं हो पाता है। यहां किसी भी व्यक्ति से मोबाइल पर बात करनी हो तो किसी ऊंची पहाड़ी पर चढक़र बात करनी पड़ती है। या बेकरिया हाईवे पर आने के बाद ही मोबाइल नेटवर्क काम करता है।

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