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उदयपुर

क्षत्रिय महासभा ने किया ऐतिहासिक दस्तावेजों का अध्ययन

सरकार पर मनमाने तरीके से पाठ्यपुस्तक में बदलाव का आरोप, पुस्तक के संयोजक बोले- वर्ग विशेष को संतुष्ट करने की मानसिकता

उदयपुरJun 23, 2020 / 11:44 am

jitendra paliwal

क्षत्रिय महासभा ने किया ऐतिहासिक दस्तावेजों का अध्ययन

क्षत्रिय महासभा ने किया ऐतिहासिक दस्तावेजों का अध्ययन

उदयपुर. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं की पुस्तक में मेवाड़ के शूरवीर शासक महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़े ऐतिहासिक प्रसंगों और तथ्यों से छेड़छाड़ करने का मामला ठण्डा नहीं पड़ रहा है। सोमवार को अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने इतिहासकारों से को बुलाकर वार्ता की और ऐतिहासिक दस्तावेजों का अध्ययन किया।
महासभा मेवाड़ के जिला अध्यक्ष यादवेंद्र सिंह रलावता ने बताया कि प्रताप शोध संस्थान में हुई वार्ता में पाठ्यक्रम निर्माण समिति संयोजक डॉ. देव कोठारी ने कहा कि पुस्तक में उनके नाम का उपयोग किया गया है, लेकिन मनमाने ढंग से इतिहास के आदर्श पन्नों को हटाते हुए गलत चीज जोड़ी गई है। यह एक वर्ग विशेष को संतुष्ट करने की मानसिकता है। उन्होंने इसका विरोध करते हुए कहा कि मेरी जानकारी के बगैर इस तरह का प्रयास एवं हल्दीघाटी पर लिखी गई कपोल कल्पनाओं को आधार बना पाठ्यक्रम में जोड़ा जाना बहुत ही घातक है। अखिल भारतीय साहित्य परिषद चित्तौड़ प्रांत के सह सचिव डॉ. एस.एस. राणावत ने कहा कि यह सभी सरकारों का दायित्व है कि अपने आदर्श पुरुषों के जीवन से उज्जवल पक्ष को समाज के समक्ष रखें, जिससे आने वाली पीढ़ी प्रेरणा ले सकें। लेकिन दबाव और संतुष्ट करने की नीति ने यह परिदृश्य बदल दिया है। हमें एक समिति के माध्यम से पूरे देश के आदर्श पुरुषों को बच्चों के पाठ्यक्रम में जोड़ते हुए नए आधार तैयार करने होंगे।
‘मेवाड़ ने इतिहास को कभी नजरअंदाज नहीं किया’
इतिहासविद् डॉ. के. गुप्ता ने कहा कि मेवाड़ के इतिहास को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। पूरे विश्व में स्वतंत्रता की अलख जगाने वाले वीर शिरोमणि प्रताप के गौरवमई पृष्ठ को हटाना बहुत दुखद है। आज भी इस सदी में हमारे आदर्श से प्रेरणा लेने की जरूरत है।
बीएन विश्वविद्यालय के शक्तिसिंह कारोही ने रोष जताया कि हमारा इतिहास लिखने वाले हम से ही नहीं पूछ रहे हैं और न ही मेवाड़ के विद्वानों से पूछा जा रहा है। उसी वंश परंपरा के होते हुए हमारे पुरखों का गलत इतिहास नई पीढ़ी के सामने जाने दें, यह हमारा धर्म नहीं है। उन्होंने अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की इस पहल का स्वागत किया।
‘शिक्षा विभाग को प्रयोगशाला न बनाएं’
पूर्व उपमहापौर महेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि इतिहास पर काम करने वाले संस्थानों, सत्तारूढ़ दल एवं प्रतिपक्ष सभी की जिम्मेदारी है कि हम शिक्षा विभाग को प्रयोगशाला नहीं बनाएं। प्रताप शोध संस्थान के निदेशक मोहब्बत सिंह राठौड़ ने कहा कि किताब में लिखे गलत तथ्यों का इतिहास में कहीं भी उल्लेख नहीं है। भाजपा नेत्री संगीता कोठारिया ने तथ्यों और इतिहास से छेड़छाड़ करने पर जन आंदोलन की बात कही। उन्होंने कहा कि मेवाड़ 36 कौम से सौहार्दपूर्ण रिश्ते रखने वाला रक्त है। संचालन प्रवक्ता रणवीर सिंह जोलावास ने किया। दिलीप सिंह दुदोड़ ने इतिहास में बदलाव को अनुचित बताया। इस मौके पर सभी संगठनों को साथ लेने एवं समुचित कार्यवाही के लिए तैयार रहने को कहा गया। सत्यपाल सिंह डोडिया, अजय सिंह पहल, भानु कपिल आदि ने भी विचार रखे। संस्था महामंत्री हेमेंद्र सिंह दवाणा ने आभार जताया।

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