सडक़ निर्माण में बरती गई कोताही बर्दाश्त नहीं होगी। अधिशासी अभियंता ग्रामीण सीआर प्रेमी को निर्देश दे दिए हैं। जल्द ही खामियों को दूर करेंगे। – दिवाकर भट्ट, अधीक्षण अभियंता, पीडब्ल्यूडी उदयपुर
– गोगुंदा को जोडऩे वाले नेशनल हाइवे पर स्थित कविता से शिवपुरी मार्ग पर एक होटल के पीछे स्थापित टर्न ***** बोर्ड को सपोर्ट नहीं दिया गया है। फ्रेम नहीं लगाई गई। इसका वेदर ट्रीटमेंट भी नहीं हुआ।
– टर्न पर पुलिया के किनारों की ऊंचाई सडक़ के हिस्से से ऊपर रखी गई। बरसाती पानी की निकासी भूल गए। किनारों से मिट्टी भी नहीं हटाई गई।
– सडक़ पर चैनेज 12/300 (नेशनल हाइवे के अंडरब्रिज के नीचे) सीसी हिस्से में किनारों पर पड़े मेटेरियल को हटाने की सुस्ती बरती गई।
– इसके समीप एनिकट के नाले के किनारे पर पैराफिट वॉल पिलर लगाने में कंजूसी की गई।
– करीब दो किलोमीटर के आगे पुलिया के किनारे पर बनाए गए पिलर पर प्लास्टर नहीं किया गया। चुनाई पर ही चूना पोता।
– वहां से कुछ दूरी पर कुएं के किनारे लगाए गए फर्लांग स्टोन विभागीय मापदण्डों के अनुरूप नहीं है, मनचाहे पत्थर को रंग कर लगा दिया गया।
– करीब 2.5 किलोमीटर आगे कर्व यानी मोड़ पर गार्ड स्टोन लगाने में मनमानी की गई। निर्धारित मानदण्डों के विपरीत गार्ड स्टोन लगाए गए।
– मार्ग के 9 किलोमीटर वाले स्टोन में घटिया सामग्री का उपयोग हुआ। अब ये झुका हुआ होकर क्षतिग्रस्त भी है।
करीब 10 किलोमीटर पर स्थित पुलिया की चुनाई घटिया हुई। कुछ पत्थर बिना चुनाई के खुले पड़े हैं। इसमें पाइप भी आईएसआई मार्का नहीं मिले। भीतर डाले गए तीन पाइप की ऊंचाई किनारों के पाइपों से ऊपर-नीचे मिली।
– पुलिया के आगे कर्व पर सडक़ में सुपर एलीवेशन भूले। सेंट्रल लाइन में ग्लास बिड्स की मात्रा नगण्य है।
– पूरी सडक़ में मार्ग किनारों पर आने वाले रॉक व पहाड़ी हिस्सों की कटिंग करने में कोताही बरती गई। खुले में पत्थर छोड़े जो दुर्घटना को न्योता दे रहे हैं।
– पूरी सडक़ के अधिकतर हिस्सों में किनारों की पटरी 20 से 50 इंच से अधिक नहीं भरी गई। वहीं पटरियों को रोलर से दबाया भी नहीं गया। पटरियां अलग-अलग मलबे से भरी दिखाई दी।
– पुलियों पर पटरियों पर किया गया सीसी कार्य बकरी के पैर रखने से बिखर कर नीचे गिर रहा है।
कहता है कायदा
– सूचना बोर्ड के पीछे सपोर्ट होना चाहिए। साथ ही वेटर ट्रीटमेंट भी हो।
– किनारों की पटरियां विशेष जगहों को छोडक़र 1.75 मीटर तक होनी चाहिए। पटरियों में भरी सामग्री पर रोलर घुमाना चाहिए।
– पुलिया का निर्माण स्तर सडक़ से नीचे होना चाहिए ताकि उसमें बरसाती पानी भरे नहीं रहे।
– पहाड़ी हिस्से से सडक़ पर पहुंचने वाले बरसाती पानी को सडक़ पर पहुंचने से रोकने के लिए किनारों पर नाली होनी चाहिए।
– सडक़ के मोड़ वाले हिस्से में फिसलन से बचने के लिए सुपर एलीवेशन यानी एक छोर से सडक़ पर ऊंचाई वहीं दूसरा छोर पर नीचे हो।
– सीसी निर्माण में तय मापदण्डों के साथ निर्माण होना चाहिए। मजबूती के लिए इसकी तराई पूरी होनी चाहिए।
– बिटुमिन मेकेडम (बीएम) व एफडीबीसी की गुणवत्ता के लिए गर्म डामर काम में लेना चाहिए ताकि डामर व गिट्टी का बंध बना रहे।
– पुलियों पर बने पिलरों प्लास्टर कर उस पर चूना करना चाहिए।