सज्जननगर निवासी निखिल पुत्र ज्ञानप्रकाश राजानी ने भूपालपुरा थाने में रिपोर्ट दी कि उसकी दादी धन्वंतरी सुबह टेम्पो से देहलीगेट आई थी, जहां से पैदल चलकर शास्त्रीसर्कल स्थित गुरुद्वारा पहुंची। करीब 10 बजे वहां से वह अपनी बहन खुशी के साथ पैदल ही अशोकनगर में झूलाजी बावजी के मंदिर गई। दर्शन के बाद दोनों बहनें अलग-अलग हो गई। अशोकनगर में किराणे की दुकान के पास धन्वंतरी देवी को दो युवक मिले। उन्होंने स्वयं को हस्तरेखा देखने वाला बताया। वह उनके झांसे में आ गई। आरोपियों ने उससे पास ही दुकान से अगरबत्ती मंगवाई। बाद में उन्होंने हाथ पर कुछ पदार्थ लगाकर वृद्धा को सुंघाया। कुछ देर के बाद आरोपियों ने बातों-बातों में वृद्धा से उनके कान में पहने कान के झुमके खुलवाते हुए पर्स में रखने का कहा। जैसे ही वृद्धा ने झुमके पर्स में रखे तभी आरोपियों ने उसे पीछे घूमने के लिए कहते हुए पर्स में से झुमके पार कर लिए। वृद्धा को पता चला तब तक आरोपी फरार हो गए। वृद्धा ने इसकी जानकारी परिजनों को दी। उसके बाद पोते निखिल मौके पर पहुंचकर दादी को भूपालपुरा थाने ले गया। वृद्धा ने बताया कि आरोपियों में एक मोटा व एक काला था। पुलिस ने हुलिये के आधार पर शहर में कई स्थानों पर दबिश दी लेकिन आरोपियों का पता नहीं चला।