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उदयपुर

महाराणा प्रताप एयरपोर्ट : सात दशक में अपनी धरती से उड़े दुनिया भर के नामी जहाज

महाराणा प्रताप एयरपोर्ट उदयपुर maharana pratap airport udaipur ने 1960 के दशक से लेकर अब तक यानी इन 70 वर्षों में छह प्रकार के एयरक्राफ्ट को उड़ान दी है। खास बात ये है कि यहां की धरती से ऐसे-ऐसे विमानों ने उड़ान भरी है, जिन कंपनियों के मॉडल्स ने दुनिया भर में अपना नाम किया है, यहीं नहीं ऐसे एयरक्राफ्ट जो अपने पूरे जीवनकाल का सबसे सफल विमान बताया गया, ऐसे विमान भी अपने आसमान से उड़े जिसका नाम विश्व युद्ध के इतिहास तक में दर्ज हो चुका है। आइए बात करते हैं ऐसे विमानों की जो अब केवल यादों में समाएं, लेकिन किसी समय में आसमान पर इनका कब्जा था।

उदयपुरJun 24, 2019 / 01:47 pm

Bhuvnesh

Maharana Pratap Airport

महाराणा प्रताप एयरपोर्ट: सात दशक में अपनी धरती से उड़े दुनिया भर के नामी जहाज

भुवनेश पण्ड्या/उदयपुर. महाराणा प्रताप एयरपोर्ट Maharana pratap airport उदयपुर ने 1960 के दशक से लेकर अब तक यानी इन 70 वर्षों में छह प्रकार के एयरक्राफ्ट को उड़ान दी है। खास बात ये है कि यहां की धरती से ऐसे-ऐसे विमानों ने उड़ान भरी है, जिन कंपनियों के मॉडल्स ने दुनिया भर में अपना नाम किया है, यहीं नहीं ऐसे एयरक्राफ्ट जो अपने पूरे जीवनकाल का सबसे सफल विमान बताया गया, ऐसे विमान भी अपने आसमान से उड़े जिसका नाम विश्व युद्ध के इतिहास तक में दर्ज हो चुका है। आइए बात करते हैं ऐसे विमानों की जो अब केवल यादों में समाएं, लेकिन किसी समय में आसमान पर इनका कब्जा था।
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एयरबस अपडेट जहाज : सभी एयरक्राफ्ट में से वर्तमान में चल रहा एयरबस Airbus विमान सबसे अपडेट माना जाता है। जैसे-जैसे पर्यटन से लेकर शहरीकरण का विस्तार हुआ वैसे-वैसे विमानों के मॉडल बदलने के साथ ही अन्दर की सीटों की संख्या भी बढ़ती चली गई, तो किसी जमाने में यहां से जो हवाई जहाज उड़ते रहे उनमें सबसे कम यानी 28 सीट थी। आज के दौर में यदि उन विमानों की बात की जाए तो वह इतिहास के पन्नों में समाए हुए हैं।
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ऐसे बदलते गए मॉडल: झीलों की नगरी के आसमान से भरी सफल उड़ान –

डेकोटा- 60 से 70 का दशक – 28 सीट: डेकोटा कंपनी ने डगलस नामक विमान बनाया था, इसका नाम स्काय ट्रेन भी था। डगलस सी-47 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट भी माना जाता है। इस मॉडल का उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध में भी किया गया था।
फोकर फ्रेंडशिप- 35 सीट: 60 से 70 का दशक इसी शुरुआती दशक में फोकर- 27 फ्रेंडशिप हवाई जहाज ने भी यहां से उड़ान भरी। यह एक टर्बोप्रॉप एयरलाइनर था जो डच विमान निर्माता फोकर ने बनाया था। इसे नीदरलैंड में बनने वाले सर्वाधिक युद्ध के बाद का विमान होने का गौरव प्राप्त है। अपने युग के सबसे सफल यूरोपीय एयरलाइनरों में से एक रहा। 1950 की शुरुआत में इसे विकसित किया गया था।
– विस्काउंट: 48 सीट: विकर्स विस्काउंट 1948 में विकस.र्आर्मगॉन्ग की ओर से बनाया गया था। पहली बार ब्रिटिश मध्यमश्रेणी के टर्बोप्रॉप एयरलाइनर में शामिल था यह युद्ध के बाद के परिवहन विमानों में सबसे सफल और लाभदायक था। 445 विस्कोस का निर्माण उत्तरी अमेरिका सहित अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों की एक कड़ी के लिए किया गया था।
– एवरो: 48 सीट: एक ब्रिटिश विमान निर्माता ने बनाया था। इसके डिजाइनों में एव्रो 504 प्रथम विश्व युद्ध में प्रशिक्षक के रूप में उपयोग किया जाने वाला एवरो लैंकेस्टर, द्वितीय विश्व युद्ध के पूर्व बमवर्षक और शीत युद्ध के एक प्रमुख डेल्टा एवरो वल्कन शामिल था।
बोइंग: 126 सीट: बोइंग वाणिज्यिक हवाई जहाज और सेवाएं वाणिज्यिक विमानन में अग्रणी है। 10,000 से अधिक बोइंग वाणिज्यिक जेटलाइनर हैं। ऐसा हवाई जहाज जो कम ईंधन पर दूर तक उड़ान भरता है। हवाई जहाज जो हवाई अड्डे के शोर और उत्सर्जन को कम करते हैं। बोइंग कंपनी की एक व्यावसायिक इकाई बोइंग कमर्शियल हवाई जहाज सिएटल, वाशिंगटन में मुख्यालय है और दुनिया भर में 60000 से अधिक लोगों को रोजगार देता है।
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आज एयरबस का कब्जा: 180 सीट एयरबस:

एयरबस यात्री जेटलाइनर से लेकर मालवाहक और निजी जेट तक सब कुछ बनाती है। कंपनी के प्रत्येक विमान में अत्याधुनिक डिजाइन, बेहतर आराम और अद्वितीय दक्षता के साथ वे आधुनिक विमानन उद्योग के लिए मानक स्थापित कर रहे हैं। वर्तमान में उदयपुर से उडऩे वाले एयरबस 319, 320, 321 और 310 शामिल हैं। वर्तमान में यहां 180 तक सीट उपलब्ध है। जबकि आकार में 100 सीट जेटलाइनर से लेकर डबल डेक ।380 तक जो 850 से अधिक यात्रियों को ले जाने में सक्षम है।
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समय-समय पर मॉडल बदलते रहते हैं। वर्तमान में एयरबस कंपनी के विभिन्न प्रकार विमान यहां से उड़ान भर रहे हैं। कुलदीप ऋषि, निदेशक महाराणा प्रताप एयरपोर्ट उदयपुर

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