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FLASHBACK 2017: ये हैं वो सारी घटनाएं जिन्होंने साल भर चिकित्सा महकमे में खलबली मचाएं रखी

locationउदयपुरPublished: Dec 30, 2017 03:59:14 pm

Submitted by:

Sushil Kumar Singh

उदयपुर. पहले अप्रेल और बाद में अगस्त माह में स्वाइन फ्लू ने चिकित्सा विभाग को परेशान किया और फिर…

उदयपुर . पहले अप्रेल और बाद में अगस्त माह में स्वाइन फ्लू ने चिकित्सा विभाग को परेशान किया। जिले सहित समीपवर्ती इलाकों से एमबी हॉस्पिटल में उपचार के लिए आए 100 से अधिक रोगियों ने दौराने उपचार दम तोड़ दिया। चिकित्सा स्टाफ भी इस बीमारी की चपेट में आने से नहीं बच सका।
– एमबी हॉस्पिटल में सरकारी आदेश के बाद 5 मई को नए अधीक्षक के तौर पर डॉ. विनय जोशी ने जि मेदारी संभाली।

– स्थायी व्यवस्था के तहत पन्नाधाय महिला चिकित्सालय में डॉ. सुनीता माहेश्वरी दूसरी बार अधीक्षक नियुक्त की गईं।
-159 करोड़ लागत के सुपर स्पेशिलिटी विंग की नींव फरवरी में केंद्रीय चिकित्सा मंत्री ने एमबी हॉस्पिटल में।

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-09 साल से रिक्त चल रहे यूरोलॉजिस्ट पद पर प्रोफेसर की नियुक्ति हुई आरएनटी मेडिकल कॉलेज में।
-100 एमबीबीएस की नई सीटों के लिए एमसीआई टीम ने दौरा किया।
-102 से अधिक स्वाइन लू रोगियों ने दम तोड़ा
-35 लाख की लागत से सोनोग्राफी मशीन का लोकार्पण हुआ ट्रोमा सेंटर में।
-20 करोड़ की लागत से आउटडोर लेबोरट्री ब्लॉक का निर्माण कार्य प्रारं ा हुआ।
-04 नए रेडियोग्राफर मिले एमबी हॉस्पिटल को पत्रिका की पहल से

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चिकित्सक शिक्षकों की नहीं हुई स्थाई नियुक्ति
– आधे से ज्यादा रिक्त चिकित्सक शिक्षक पदों पर स्थायी नियुक्ति के अलावा में संविदा चिकित्सकों से भरा गया।

– 42 चिकित्सक शिक्षकों की ार्ती के बावजूद उदयपुर संभाग के मेडिकल कॉलेज को एक विशेषज्ञ नहीं मिला।
– जनाना चिकित्सालय के तीसरे माले पर सुविधा युक्त करोड़ों के बजट से एमसीएच बिल्डिंग का निर्माण हुआ।
– एमबी के ट्रेामा सेंटर में सीएसआर स्कीम के तहत एक करोड़ रुपए की लागत वाली डिजीटल एक्स-रे मशीन लगी।
– आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया जैसे हाल में एमबी हॉस्पिटल में कर्जदारों की कतारें बढ़ती ही रहीं।
– सुपर स्पेशिलिटी विंग का नव बर माह तक तैयार होना तय था, लेकिन अब निर्माण कार्य प्रक्रियाधीन है।
– संविदा चिकित्सक शिक्षकों से पूरे वर्ष दबाव में काम कराने की नीति पर मेडिकल कॉलेज कोई फैसला नहीं ले सका।
– 100 एमबीबीएस सीटों के लिए एमसीआई के निरीक्षण में कॉलेज को निराशा ही हाथ लगी।
– एमसीएच विंग निर्माण के बाद जनाना चिकित्सालय के ग्राउंड लोर वाली रियासत कालीन दीवारों में दरारें चिंता बनी।
– जनाना में बीएसबीवाई काउंटर के संचालन को लेकर स्टाफ नहीं मिला। अलग से केबिन का नहीं हुआ समाधान।
– एमबी में नौसिखियों के हाथों से पूरे साल जांची गई एक्स-रे फिल्में।
– मेडिकल कॉलेज के चिकित्सालयों के सीवरेज की बढ़ती गंदगी को लेकर नहीं हुआ स्थायी समाधान।

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